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________________ भंगार के भाव में, खरीदने वाले हैं और किस से खरीद लाए हैं। तो हमारे टॅक्स के पैसे की है ना या तुम्हारे गांव से लाए है, पूछो ना इनको, मशीन तो हमने टॅक्स दिया उस पैसे से लाए हो। हम कहते है बेच दो भंगार के भाव। तुम कौन होते हो परेशान होने वाले। हमारे टॅक्स का पैसा है और कोई खरीदता नहीं तो हम खरीद लेगे वापस। क्योंकि मैं आपको एक जानकारी दूँ। इंजिनियरींग में यह कोई भी मशीन कभी-भी बेकार नहीं होती। उसका स्वरुप बदल के आप उसको किसी दूसरे काम में ले सकते हैं। अभी जो मशीन आयी है वो काटने के लिए हैं। इसके ब्लेड निकाल दो तो वही मशीन दूसरे काम करेगी। कुछ बेकार नहीं होने वाला उसका ब्लेड को आप बेचना हो तो बेच दो नहीं तो उससे दूसरे काम कर सकते हो जो पशु प्राकृतिक मौत मर रहे हैं। उनकी चमड़ी उतारने में यही ब्लेड काम आयेंगे। तो मशीन बेकार नहीं है बिल्डिंग बेकार नहीं है दोनों काम में आएगा और नगरपालिका कहेगी जी इसका पैसा कौन देगा तो उनसे कहो कि किसके पैसे से बनी है पूछो ना। नगरपालिका कहाँ से पैसा लाई है। कहेंगे केन्द्रसरकार की सब्सिडी है। केन्द्र सरकार ने सब्सिडी कहाँ से दिया है। हमने इन्कम टॅक्स भरा हैं उनमें से दिया है। हमने सेल्स टॅक्स भरा उसमें से दिया। हमने सर्विस टॅक्स दिया है उसमें से दिया है। केन्द्र सरकार कहाँ से लाई। उनके पास क्या पैसा पेड़ पे उगता हैं तो उसमें से वो देते। तो हमारा पैसा है हम तय कर रहे है इसको क्या करना है और अगर वो कहते है कि यह बिल्डिंग हमने कहीं से कर्ज लेकर बनाया है तो ठीक है। बिल्डिंग हम खरीद लेगें और मैं यह मानता हूँ कि सोलापूर में मेरे जैसे लोग अगर झोली फैलाकर भीख मांगने जाये तो इतना तो इकट्ठा हो ही जायेगा। जितना बिल्डिंग का कर्ज चुका सकें। सोलापूर अभी इतना गरीब नहीं हो गया है। इतने जीव दया प्रेमी तो यहाँ निकल ही आयेंगे। जो दस-दस रुपये भी दान करेगें, सौ-सौ रुपये भी दान करेगें तो बिल्डिंग का पूरा पैसा निकल आयेगा। ___ इसलिए कोई चिंता की बात नहीं है। हम इन सब प्रश्नों का समाधान कर सकते हैं। हमारी मान्यता है। हमारी सभ्यता है। हम कहीं तक भी जा सकते हैं उसके लिए और यह कॉन्फिडन्स आप में आ जाए कि यह हमारी मान्यता का प्रश्न है। यह टेक्नोलॉजी का सवाल नहीं हैं लॉ एण्ड ऑडर की प्रॉब्लम नहीं है तो आप ही इसके लिए बहुत कुछ कर देंगे। आदमी जो है ना मान्यता के लिए ही जीता हैं और वो जिंदा तभी तक रहता है जब तक उसकी मान्यता जीवित है। उसी दिन मर जाता है जिस दिन मान्यता चली जाती है उसकी। तो आप अपनी मान्यता को जीवित रखें। भारतीयता को जीवित रखें। जो सभ्यता हमने पायी है सच में अनमोल है। दुनिया के बहुत सारे देशों की सभ्यताओं गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 62
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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