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________________ सकता है। वहाँ गौ-शाला भी हो सकती है। मैं देख के आया हूँ बहुत अच्छा शेड बनाया है। वहाँ हम कम-से-कम एक हजार गाय पाल सकते हैं और पूरे सोलापूर नगर को गाय का दूध पिलायेंगे। हमारे वर्धा शहर में ऐसा होता है। गाय पालने वाले किसानों की एक सहकारी. संस्था बनाई हैं। वो रोज 5-6 हजार लीटर दूध पिलाती है शहर के लोगों को। तो यह वर्धा में हो सकता है तो सोलापूर में हो सकता है। तो हम वहाँ गाय पालेगें, दूध पिलायेगें, और अच्छी नस्ल की गाय का दूध जो, हम भूल गए हैं। जैसे राठी नस्ल की गाय होती हैं। राजस्थान में अद्भुत दूध देती हैं। एक गाय पैतीस लीटर दूध देती हैं कोई सोच नहीं सकता कत्लखानों गौशालाओं में बदलें हमने तो इतनी कल्पना की हैं। जर्सी गाय पैतीस लीटर दूध देती है। भारत की स्वदेशी राठी नस्ल की गाय पैतीस लीटर दूध देती हैं और दूध अद्भूत हैं उसका। जो पीते हैं वो जानते हैं उसके बारे में। जो अच्छी-अच्छी गाय लाके रखेंगे हजार-दो हजार। उनका जितना दूध होगा वो सोलापूर में बाँटेगे। बंच गई. तो दही बनायेगें। दही से ताक बनायेगें। ताक दूसरों को देगें और मख्खन हम निकालकर उसका घी बनायेगें। घी यहाँ के मंदिरो में काम आयेगा। मंदिर तो बहुत हैं ना, तुलजाभवानी का मंदिर है। अक्कलकोट का मंदिर है। मंदिरो का शहर हैं यह तो। आजू-बाजू में इतने तीर्थ स्थान है। सब जगह घी काम आयेगा एक और बहुत बड़ा काम आयेगा वो यह कि मैं गांव-गांव में घूमता हूँ। शेतकरी बांधवों से कहता हूँ आप गाय रखते हो। हाँ-रखते हैं। तो उसको गर्भाधान कैसे कराते हो तो कहते हैं- इजेक्शन लगाके उसको गर्भाधान कराते हैं। क्यूँ कराते हो तो मुझे एक मायूसी में बात कहते हैं- राजीव भाई हमारे गांव में बैलं नहीं हैं। सांड नहीं हैं। क्या करे तो चलो हम केन्द्र बनाये यहाँ पर जो अच्छे किस्म के सांड पालने का हो और सब गांव में उपलब्ध करायें। __राठी नस्ल की गाय है तो राठी नस्ल का सांड भी है। थरपारकर नस्ल का है। साहिवाल नस्ल का है। भारत में चालीस नस्ल के बहुत उत्तम किस्म के सांड हैं। सबको यहाँ लाके रखेंगे जिसको जिसकी जरुरत हों वो गांव में लेके जाए और उसकी गाय को नहीं तो यहाँ छोड़कर जाए। सेवा उसको प्राकृतिक रुप से मिलेगी तो परिणाम क्या निकलेगा। उस गाय की नस्ल सुधरती चली जायेगी। आप जानते हैं यह इंजेक्शन लगा-लगाकर गाय को गर्भाधान किया जाता है। उससे नस्ल खराब होती है और तीन नस्ल के बाद तो गाय दूध देती ही नहीं है। संभव होता है तो इस नस्ल को वापस सुधारें तो प्राकृतिक तरीके से उसको गर्भाधान कराये। उसके लिए सांड उपलब्ध करायें और यह इंजेक्शन देने वाले डॉक्टरों को पता नहीं मन में अंदर आत्मा झंझोरती है कि नहीं। टाईम बे टाईम इंजेक्शन लगा दिया। सोचो क्या होगा। हालाकि वो डॉक्टर मानते गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 60
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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