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________________ रहने लायक। चलो हमारा अमेरिका बहुत अच्छा है। हाँ, और उनके माता-पिता बैचारे पूरे साल इंतजार करते, हमारा बेटा आयेगा - आयेगा। बेटा वहाँ से हाय, हॅलो कह देता है। बस, माताजी मरने को तैयार हैं फिर भी कहता है। क्या करू प्लेन की टिकट नहीं मिल रही है। अभी अंतिम संस्कार कर देना किसी भी तरह से। तो वहाँ प्लेन की टिकट माताजी से बड़ी हो जाती है। तो ऐसे कुछ लोग भारत में पैदा हुए अमेरीका चले गए। वो कभी-कभी मुझे कुर्तक करते हैं। इस प्रश्न पर भी कुर्तक करते हैं। जब मैं उनसे कहता हूँ कि देखो भैय्या यह अमेरिका की सभ्यता है वो ईसाईयत से संचालित है। यूरोप की सभ्यता वो भी इसी से संचालित है। थोड़ा बहुत इलाके में ज्युइज्म है। और इस्लाम की अपनी सभ्यता तो है ही। इनमें से किसी में भी पुर्नजन्म नहीं है तो मुझे तर्क, पता हैं क्या देते है। वो कहते हैं देखो अमेरिका में हर चीज फास्ट हो जाती है। तुम्हारे देश में नहीं होती दस साल में नहीं होती, पंद्रह साल में नहीं होती। हमारे अमेरिका में तो एक फोन पर सब होता है और हमारे यहाँ हर चीज फास्ट है। गाडी चलती है तो 240 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से। तुम्हारे यहाँ कल्पना होती है. क्या । तो वो कहता है। जीवन बहुत अच्छा है, तेज है, वगैरा वगैरा तब मैं उनको धीमे से कहता हूँ तुम्हे मालूम है वहाँ का जीवन क्यूँ तेज हैं। क्योंकि वहाँ पुर्नजन्म नहीं होता। आप इसको गंभीरता से सोचिए जिस जीवन में पुर्नजन्म नहीं है वहाँ क्या होगा। जो करना है इसी जन्म में करना है तो जल्दी-जल्दी करनी पड़ेगी कि नहीं। दूसरा जन्म तो है नहीं तो जो करोगे जल्दी करोगे। तो जल्दी करने के लिए जो टेक्नोलॉजी बनेगी उसी में वो रहेंगे। देखिए, टेक्नोलॉजी जो बनती है किसी भी देश में वो मान्यता के हिसाब से बनती है । एक पहिया है, मान लीजिए मुल तो वो है। बाकी उस पहिये को आप हवाई जहाज में लगा लीजिए। चाहे मोटर कार में लगा लीजिए। चाहे स्कूटर में लगा लीजिए या बैलगाड़ी में लगा लीजिए। है तो पहिया । अब वहाँ क्या है जीवन एक ही बार है। बार-बार मिलता नहीं। जो करना है एक ही बार में करना है। मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त है । जर्मन में वो थोड़े दिन पहले आया था भारत | दिल्ली में हम दोनों बैठे बात कर रहे थे तो बड़ी चिंता करने लगा। यार - भारत देश ने न्यूक्लिअर बम बना लिया है। मैंने कहाँ- तुम को क्या परेशानी है। बना लिया तो तुमको क्या परेशानी है। अरे यार --पाकिस्तान ने भी बना लिया। मैंने कहा- तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है ? जर्मनी ने तो बना लिया है, फ्रान्स ने भी तो बना रखा है, ब्रिटेन ने भी तो बना रखा है। उसने कहा प्रॉब्लम यही है कि इनमें से किसी ने भी अगर गिरा दिया तो मैं तो मरने वाला हूँ। तो मैंने कहा मरने वाले हो तो फिर पैदा हो जाना। उसने कहा मैं नहीं मानता कि पुर्नजन्म होता है। तुम मानते हो इसलिए तुम तो दुबारा पैदा गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 2345
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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