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________________ तय हो गया था कि भारत की संसद के मेक्सीमम MP सबसे ज्यादा खासदार गौरक्षा के समर्थन में हैं और मुश्किल से कुछ MP जिनकी संख्या दस भी नहीं थी वो गौरक्षा . . के विरोध में है। तो दस एक तरफ हैं बाकी एक तरफ है। अगले दिन जिस दिन यह वोट के लिए आया तो पंडित नेहरु ने कहा कि मुझे कुछ कहना है वोट से पहले क्या कहना है जी। पूरी संसद की निगाहें नेहरुजी की तरफ, नेहरुजी ने कहा की अगर गौरक्षा का प्रस्ताव पारित हुआ तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। . • यह बात मुझे इसलिए कहनी पड़ी क्योंकि मेरे दोस्त संदीप ने नेहरुजी को उद्धृत किया है। कई बार हमें धोका हो जाता है चेहरा कुछ होता है। असलियत कुछ और होती है। हमारे देश में अभी थोडे दिन पहले एक बहुत बड़ा मामला आया है। सामने बहुत गंभीर मामला है. वो, अगर राजनीतिक लोग उसको थोड़ा बाजू में रख दे तो भी . देश के लिए गंभीर मामला है। गंभीर मामला यह है कि खुफिया एजेन्सी के KGB के. एक बहुत बड़े ऑफीसर ने एक दस्तावेज आधारित एक किताब लिखी है। जिसमें उसने नाम लिख के कोट किया है कि भारत के कौन-कौन से प्रधानमंत्री, कौन-कौन से . मंत्री रुस से पैसा लेते रहे और रुस के समर्थन में इस देश में कानून बनाते रहे। उस किताब में मित्रोखिन नाम का ऑफीसर है उसने लिखा है कि भारत में प्रधानमंत्रिओं का मुखोटा कुछ होता है। क्या कुछ होता है यह बात आपको समझ में आए। इसलिए मैंने सुनाया कि नेहरुजी आजादी से पहले भाषण दे रहे हैं कि कत्तल खानों के सामने से गुजरता हूँ तो मुझे घिन आती है। एक मिनट मैं खड़ा नहीं रह सकता, चील, कौवें मंडराते हैं मेरी आत्मा मुझे कोसती है। प्रधानमंत्री बनने के बाद जब गौरक्षा का प्रस्ताव आता है तो वही नेहरुजी कहते हैं की प्रस्ताव पारित हुआ तो मैं इस्तीफा दे दूंगा, क्यूँकारण क्या है। इस पर खोज होनी चाहिए। क्या आजादी के पहले एक कहा और आजादी मिलते ही, प्रधानमंत्री बनते ही इस्तीफा देने लगे। अब उस जमाने में होता क्या था नेहरुजी की धमकी कि इस्तीफा दे दूँगा तो पूरी पार्लियामेंट हिल गई, महावीर त्यागी को छोड़कर। क्योंकि उनके उपर इसका कोई असर नहीं था। क्योंकि काँग्रेस की टिकट पर कभी चुनके नहीं आते थे। तो जो काँग्रेस की टिकट पर चुन के आने वाले खासदार थे उनके लिए प्रश्न खड़ा हो गया। क्या होगा नेहरुजी इस्तीफा दे देंगे सरकार चली जायेगी। पता नहीं दुबारा जीत के आयेंगे कि नहीं आयेंगे। मंत्रिमंडल में स्थान मिलेगा की नहीं मिलेगा। यह होता है न आप को भी होती है न तकलीफ। अभी थोडे दिन पहले NDA सरकार चलती थी कि अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि इस्तीफा दे दूंगा। देखा आपने कैसा तमाशा हुआ। एक दिन ऐसा हुआ श्रीमती सोनिया गांधी ने कहा मैं प्रधानमंत्री नहीं बनुगी। आपने देखा कैसा तमाशा हुआ दिल्ली में ऐसे-ऐसे खासदार बंदुक, तंमचा लेकर सामने आये कि मैं अभी आत्महत्या कर लूँगा। क्योंकि सोनिया गांधी हमारी प्रधानमंत्री नहीं बन रही हैं। थोडी दिन के बाद क्या हुआ, वो वहाँ गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 40 E
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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