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________________ जवाहरलाल नेहरु के नाम। उन्होंने कहा कि- “मेरे और तुम्हारे विचार इतने विपरीत हैं कि मैं कभी-कभी चाहता हुँ कि जनता के सामने इनको खोल दूँ। ताकि लोगों को पता चले कि नेहरु क्या है । और मैं क्या हूँ”। तो नेहरुजी तुरन्त गांधीजी के पास पहुँचे और कहने लगे बापू यह समय नहीं है उन विचारों को खोलने का। अभी पहले आजादी लेनी है। आजादी आ जाये। उसके बाद यह सोचेंगे। लेकिन आजादी आई । उसके बाद विचार लोगों के सामने नहीं आये। नेहरूजी और गांधीजी में बड़े मतभेद थे। उसमें एक मतभेद यह कत्ल खानों के प्रश्नों पर भी था। दूसरा मतभेद अंग्रेजों के द्वारा बनाये गये नियम कायदे कानूनों पर था। तीसरा मतभेद अंग्रेजों की प्रशासकीय व्यवस्था पर था। चौथा मतभेद भारत देश की गरीबी, बेरोजगारी की परिस्थिति और उसको ठीक करने के प्रश्नों पर था। ऐसे बहुत सारे मतभेद थे। लेकिन नेहरु थोड़े चालाक आदमी थे। ज्यादा चालाकी करते थे। होशयारी में और चालाकी में थोड़ा अंतर होता है। होशियार होना बहुत अच्छा माना जाता है। चालाक होना अच्छा नहीं माना जाता । चालाकी क्या करते थे। कभी देखा कि बापू नाराज हो रहे हैं तो अपने को विड्रो कर लेना। क्योंकि उनको मालूम है कि बिना उनके आशिर्वाद के मेरा कोई इस देश में ना भविष्य है ना वर्तमान है। भूतकाल तो ऐसा था नहीं कि जो देश के लायक वो कुछ खो पाते। वर्तमान और भविष्य गांधीजी ने उनका बना दिया। क्योंकि उनके ऊपर हाथ रखे। बहुत सारे भारतवासी मानते हैं कि पंडित नेहरु को गांधीजी ने आगे बढ़ाया। यह बात आंशिक रुप से सच है लेकिन उससे भी बड़ा सच यह है कि पंडितजी की विचारधारा और गांधीजी की विचारधारा में जमीन आसमान का फरक था। आपके सामने अभी संदीप भाई ने बात कही। पंडित नेहरु ने लाहोर में एक भाषण दिया था। एक कत्ल खाना खोला था अंग्रेजों की सरकार को । अंग्रेजों की सरकार ने भारत में 250 साल के शासन में 350 कत्ल खाने खोले थे। सबसे पहला कत्ल खाना उन्होंने कलकत्ता में खोला था। रॉबर्ट क्लाईव नाम का एक अंग्रेज था । 1757 में जब उसने कलकत्ता को जीत लिया । तथाकथित रुप से जीत लिया। युद्ध के मैदान में नहीं चालाकी के साथ, वो कहानी आप सब जानते है कि सिराज उद्दौला उस समय में बंगाल का राजा था। रॉबर्ट क्लाईव को लंदन से भेजा गया कि सिराज उद्दौला को पराजित करना है और बंगाल में अपने राज्य की स्थापना करनी है। अंग्रेजी राज्य की मुश्किल यह कि सिराज उद्दौला के पास अठारह हजार सैनिक थे। रॉबर्ट क्लाईव के साथ मुश्किल से तीन सौ सैनिक थे। तीन सौ सैनिक, अठरा हजार सैनिकों का मुकाबला नहीं कर सकते। यह रॉबर्ट क्लाईव जानता था। तो उसने क्या किया। सिराज उद्दौला की सेना में अपने कुछ एजेंट भेज दिये। और उनसे कहा कि तुम पता करो कि कौन गद्दार है जो भारत से विद्रोह कर सकता है। उस सिराज गौमाता पंचगव्य चिकित्सा 31
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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