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________________ 4. गर्भाशय में गाँठ (ovarian Cyst) 1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या ' नारी संजीवनी और गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. कांचनार अर्क का सेवन करें। इसकी विधि कैंसर के उपचार में दी गई है। ... 3. दूध में सौंठ उबालकर घी डालकर सेवन करें। अपथ्य : खटाई, मिर्च, गर्म मसाले, तली चीजें। क्रोध, ईर्ष्या, भय, शोक, मन में गाँठ बाँधना पथ्य : जौ, भुने हुए चने, मिश्री, विशेष : सभी महिलाओं के गर्भाशय में गाँठे बनती और खत्म होती रहती हैं। गाँठ का आकार बढ़ता रहे या वह दर्द करें, तभी उपचार करने की आवश्यकता होती है। 5. स्तनों में दूध की कमी 1. दिन में तीन बार ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या नारी संजीवनी और गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. दूधा में छुहारे (खजूर) उबालकर घी डालकर लें।.. 3. पूरे शरीर की तेल से मालिश करें। 4. अधिकाधिक मात्र में घी का सेवन करें। अपथ्य : फ्रिज की ठंडी चीजें, बासी भोजन, आलू, प्याज, मैदा, बेसन, खमीर वाली चीजें, अचार, रिफाइण्ड तेल . पथ्य : अजवायन, मेथी, सौंठ, तिल, देशी गुड़, बाजरा, खाने का गूंद तिल का तेल 6. गर्भावस्था (Pregnancy) . 1. स्त्री की प्रकृति व ऋतु के अनुसार गौमूत्र की जो मात्रा होती है, उससे आधी मात्रा में गौमूत्र या गौमूत्र अर्क और घनवटी का सेवन करना चाहिए। 2. प्रतिदिन चांदी के प्याले में दही जमाकर ताजे दही का सेवन करना चाहिए। इससे बच्चा मेधावी व स्वस्थ होता है - मंदबुद्धि अथवा विकलांग नहीं होता। . 3. छाछ या गौतक्रासव या गौतक्रारिष्ट का सेवन करें। 4. त्रिफलादि घृत का सेवन करें। 5. गर्भवती माता को दूध का खूब पीना चाहिए। दूध को लौहे की कढ़ाई में खूब गौमाता पंचगव्य चिकित्सा ।। 127
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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