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________________ 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या • गौमूत्र अर्क, गौमूत्र धनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. छाछ सेंधा नमक या गौतक्रारिष्ट का प्रतिदिन सेवन करें। अपथ्य : सभी मसाले, सब्जियाँ, दालें, तेल या घी की तली चीजें पथ्य : ज्वार की रोटी+छाछ, चावल या गेहूँ की थुली+दही विशेष : . इस रोग को ठीक होने में दो-तीन महीने का समय लगेगा, रोग के ठीक होने पर भी दो-तीन महीने गौमूत्र का सेवन करते रहें। 2. नाभि पर 2-3 बूंद घी लगाकर अनामिका उंगली से हल्का मंथन करें। .. । 21. तृषा (प्यास न मिटना) यह रोग क्लोम ग्रंथि की विकृति के कारण होता है। 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। जब तक दस्त साफ न आये, गौमूत्र की मात्रा बढ़ाते रहें। ताकि वायु की तीव्रता के कारण बढ़ रही प्यास नष्ट हो जायें। गौमूत्र में पर्याप्त मात्रा में विटामिन 'बी' है, इसलिए तृप्ति होती है। 2. दूध के साथ घी लें। भोजन में भी अच्छी मात्रा में घी का सेवन करें। अपथ्य : रूखा आहार, तली हुई चीजें, बर्फ का पानी पथ्य : दूध, घी, मिश्री मिला आहार 22. दन्त रोग (Dental Diseases) . दन्त रोगों का संबंध आँत के रोगों से है। आँत में असेन्द्रिय पदार्थ इकट्ठा रहने से दन्त रोग होते हैं। आम का शोधन करना, आँत साफ रखना व दूषित पदार्थ के संग्रह को निकालना चिकित्सा है। 1. ऋतु, प्रकृति और अवस्था के अनुसार देशी गाय के गौमूत्र को सूती कपड़े को आठ परत (fold) कर छानकर पीयें। या गौमूत्र अर्क, गौमूत्र घनवटी या गौमूत्रासव या गौमूत्र हरीतकी वटी का सेवन करें। 2. दूध-घी का सेवन करें। 3. गोबर के कोयले से बने गौमय दन्त मंजन से दिन में तीन बार दाँत साफ करें। 4. गौमूत्र से दिन में 4-5 बार कुल्ला करें। अपथ्य : मीठे पदार्थ, खट्टे पदार्थ पथ्य : घी, तेल, दालें, सभी मसाले, लौंग गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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