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________________ भामाशाह गत-विभव हो जाने से ही मुझे यह नगर बसाने की आवश्यकता प्रतीत हुई । आज से यही उदयपुर मेरे राज्य की राजधानी रहेगा। मैं भी यहीं व्यवस्थित रूप से रह कर राज्य-संचालन करूंगा । अतएव अपने प्रधान सहायक के रूप में शाह भारमल्ल को मन्त्री पद पर घोषित करता हूं। वे आकर मेवाड़ राज्य के प्रतिष्ठा की शपथ ग्रहण करें। ___ भारमल्ल- ( खड़े होकर नतशिर हो ) मैं अपने आराध्यदेव की शपथ पूर्वक प्रण करता हूं कि मेवाड़-राज्य मेरी समस्त श्रद्धा का केन्द्र विन्दु होगा एवं मैं तन-मन-धन से इसकी सेवा के लिये सदैव प्रयत्नशील रहूंगा। ( दर्शकों द्वारा करतलध्वनि) उदय सिंह-शाह भारमल्ल की इस प्रतिज्ञा से मुझे प्रसन्नता है। है इन्हें मंत्रिपद पर प्रतिष्ठित करते हुए मैं यह भी घोषणा करता हूं कि यदि ये अपना उत्तरदायित्व योग्यता पूर्वक निर्वाह करें, तो मेरे भावी वंशज भी इनके वंशधरों को प्रधान के पद पर नियुक्त करेंगे। ( भारमल्ल से ) आइये । यह राजमुद्रा स्वीकार कीजिये। (भारमल्ल का उठ कर विनय पूर्वक मुद्रा स्वीकार और दर्शकों की करतल-ध्वनि ) पटाक्षेप ४७
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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