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________________ भामाशाह दृश्य ६ स्थान - उदयसागर समय - सूर्योदय के उपरान्त ( बन्दनवारों से अलंकृत विश्रान्ति-गृह, शिर पर मंगल कलश लिये सुहागिन सुन्दरियां, वाद्य वादक, कुछ सैनिक, राज्य पदाधिकारी, भामाशाह और अमर सिंह) भामाशाह — कुमार ! आगमन का समय हो गया है, पर अभी तक पहुंचने की सूचना नहीं आयी । अमर सिंहह-आ ही रही होगी महामात्य ! सम्भवतः मार्ग में अनुमानित समय से कुछ अधिक लग गया होगा । ( दूत का आगमन ) दूत - ( सविनय ) महाराज मानसिंह का आगमन हो रहा है । ( निस्तब्धता, स्वागत - वाद्यों की ध्वनि और मानसिंह का प्रवेश ) भामाशाह - ( अमर सिंह से ) कुमार ! आप पुष्पहार पहनायें । अमरसिंह - ( आगे बढ़कर हार पहिनाते हुए ) जय एकलिंग ! आपका अभिनन्दन है | मानसिंह - ( प्रसन्न मुद्रा में ) धन्यवाद ! कहिये कुशल है न ? ( चारों ओर देख कर ) राणाजी के दर्शन नहीं हो रहे ? भामाशाह - वे अभी नहीं पहुंच सके । चलिये, कुछ क्षण विश्राम मार्ग का श्रम दूर कीजिये । पश्चात् शेष वार्तालाप सुविधा से हो सकेगा । कर मानसिंह — जैसी आपकी इच्छा, मुझे भी इस समय विश्राम की आवश्यकता प्रतीत होती है। ક
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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