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________________ (३६) अश्विनी मृगशीषच हस्तः पुष्यः पुनर्वसुः । स्वातिश्च रेवती चैव जन्मकाले धनप्रदाः ॥१९३॥ भरणी च मघा चित्रा विशाखा शततारिका । धनिष्ठाऽश्लेषिका प्रोक्ता जन्मन्यशुभदायिनः ॥१९॥ कृत्तिका. रोहिणी चाा ज्येष्ठा मूलाख्यतारिका । श्रवणं चानुराधा च मघा पूर्वोत्तराधिकम् ॥१९५॥ सोमो बुधो गुरुः शुक्रो वाराश्चत्वार उत्तमाः। रविभौमः निर्वारो विपरीतः समासतः ॥१९६॥ नन्दा भद्रा जया पूर्णा शुभदास्तिथयो मताः । द्वादश्याद्याश्च रिक्ताश्च सवकमसु वर्जयेत् ॥१९७॥ तिथिनक्षत्रवारेषु शुभषु जन्म यस्य वै । त्रिकोणोचग्रहैलग्ने राजा भवति सात्त्विकः ॥१९८॥ ___ अश्विनी, मृगशिरा, हस्त, पुष्य, पुनर्वसु, स्वाती और रेवतीये नक्षत्र जन्मकाल में प्रशस्त तथा धन को देने वाले हैं ॥१६॥ भरणी, मघा, चित्रा, विशाखा, शतभिषा, धनिष्ठा, आश्लेषा-ये नक्षत्र यदि जन्मकाल में हो तो अशुभ फल देते हैं ॥१४॥ कृत्तिका, रोहिणी, आद्रो, ज्येष्ठा, मूला, श्रवया, अनुराधा, मघा और तीनों पूर्वा, तीनों उत्तरा-ये मध्यम नक्षत्र कहे गये हैं ॥१६॥ सोम, बुध, गुरु, शुक्र-ये चार ग्रह शुभ होते हैं। रवि, मंगल, शनि-ये अशुभ वार हैं अर्थात् शुभ वार में जन्म शुभफलद अन्यथा अशुभफलदायक होता है ।।१६६।। नन्दा, भद्रा, जया, और पूर्णा ये तिथियां शुभ होती हैं । द्वादशी आदि तथा रिक्ता-इनको सभी शुभ कार्यों में न्याग देना चाहिये ॥१६॥ शुभ तिथि, शुभ नक्षत्र, और शुभ वार में जिस मनुष्य का जन्म हो पार लग्न का त्रिकोण वा उच्च ग्रहों से सम्बन्ध हो तो वह मनुष्य सात्विक राजा होता है ॥१६॥ 1. ०दायिनी for दायिनः A , Al. 2. मध्यं सर्वोत्ररात्रिकम् A., AL. 3. र्वारा for eोरो A. 4. विपरीताः सतां मताः for विपरीतः समासतः। A, Bh,
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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