SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 30 १०४६-१०६६ ४१ ४४ (२०) दुस्थिति, दुर्भिक्ष १०१२-२०१३ क्रय-विक्रय-योग १०१४ दुर्भिक्ष २०१५ रोहिगी का शुभाशुभ फल . १०१६-१०२६ आषाढीयोग पापादोयोग से वृष्टि का हाना अथवा न होना १०२७.१०४८ नक्षत्र क्रम से समर्घ-महर्घ तथा तिथि, छत्रभंग श्रादि योग चन्द्रमा के परिवेष से वृष्टिज्ञान १०७० इन्द्रधनुष से वृष्टि ज्ञान १०७१ राशिक्रम में मह आदि १०७२-७४ वारुण परिवेष से वृष्टि १०७५ मर्प के वृक्ष पर चढ़ने से वृष्टि निर्णय १८७६ गहरी के ऊर्वाभिमुख होने से वृष्टिज्ञान १०७७ तक्रादि के पात से वष्टिहानि १०७८ महर्ष-प्समर्पज्ञान १०७४-१०८१ মঃ মা ন অম্বান १०८२-१०८६ मण्डलप्रकार से अज्ञान १०६०-११०६ हेम प्रभ सूरि के अनुसार अर्घ काण्ड १११०-१११४ चैत्रार्थ १११५.१११७ अर्थशास्त्र की सत्यता १११८ | গাছিন আঁৰ স্বাৰাঃ ম স্পষ্ট १११६ नक्षत्र क्रम से अर्घ ११२०-११२६ राशि संख्या से अर्घ ११०७-११२८ प्रह संख्या से अर्घ ११२६-११३३ प्रह, नक्षत्र, राशि संख्या से अर्घ ११३४.११३६ अर्घ त्रिगुण ३१३७ अप द्विगुण ११३८ • लब्धार्ष स घटा कर अर्घ निश्चय ११३६ राशि, नक्षत्र, प्रह क्रम से अघ ११४०-११४८ संतिका, माणक, पल्लिका, आदि मानने का प्रकार ११४८-११५६ धान्य महर्ष जानने के प्रकार ११५७-११५८ पात्रापात्र को अर्घकाएड देने का फल धार भफल ११५६.११६० ४० १३ ५५
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy