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________________ ( १७५ ) नवांशेऽर्कसितज्ञानां सत्रिभागमहस्त्रयम् । नाड्यः पञ्चदशैवेन्दोमामे पञ्चदिनानि च ॥ ९४९ ॥ मासो जीवे दिनानि स्युस्त्रिभागोनचतुर्दश । शनेर्मासत्रयं व्यंशो राहोर्मासद्वयं पुनः ।। ९५० ॥ इति नवांशकुंडलिकाः । श्रीहेलाशालिनां योग्यमप्रभीकृतभास्करम् । सूक्ष्मेक्षिकया चक्रेऽनिभिः शास्त्रमदूषितम् ॥९५१ ।। क्रियते केवलादशस्त्रलोक्यस्य प्रकाशकः । श्रीमद्देवेन्द्रशिष्येण श्रीह मप्रभसारिणा । ९५२ ।। ___ अथाघकाण्डः । शुक्रास्ते भाद्रमामे शुभभगणगतं वाक्पती सौख्यहती ज्येष्ठायाह सुवारे शशिस्तधिषणे सूदिते निश्यगस्त्ये । को भूपादिवर्गे विघटति समय मङ्गले वक्रिते या सूर्य, शक्र बुध. इन ग्रहों से नवांश के वश तृतीयांश तीन दिन का फल कह, और चन्द्रमा से नवांश वश पन्द्रह चंटी और मंगल से पांच दिन का फल को ॥ ६४६ ॥ गुरु से एक मास तृतीयांश उन चौदह दिन का फल विचार करें, और शनि से तृतीयांश युक्त तीन मास, तथा राहु से नवांश के वश दो मास का फल विचार करें ।। ६५० ।। इति नवांशकुण्डलिकाः। श्रीमान हेलाशालि कायोग्य जो कि सूर्य को भी निस्तेज करते है,ऐसे वे श्रीमान् देवेन्द्र के शिष्य श्री हेमप्रभसूरि सूक्ष्म दृष्टि से शत्रु से अदृषिन त्रैलोक्यप्रकाश नामक शास्त्र में केवलादर्श करते है।।१५१-१५२ ॥ ___ भाद्रमास में शुक्र अस्त हो, बृहस्पनि शुभ राशि में हो तो सौख्य काकारणा होता है, और ज्येष्ठ माम का पहला शुभ दिन बुध या गुरु का हो उस रात्रि में अगस्त्य का उदय हो और पाप ग्रह राजा आदि के 1. गा for oगो AI. 2. विघटित for विषटति Bh.
SR No.009389
Book TitleTrailokya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhsuri
PublisherIndian House
Publication Year1946
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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