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________________ पद्धरि : इसके प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती है। 8-8 मात्राओं पर विश्राम होता है। ||5|| ऽ ।ऽ ।।ऽ ।। ।। ।। ।। ।ऽ करूणाकर हे! करूणा करके, इक बार निहार निहाल करो। यह बंधन है पुर–वास प्रभो! तुम मुक्त हुए सुख से विचरो। यह भक्ति भरा नभ से उतरा, स्वर है इसमें अब अर्थ भरो। पुनरागम का कर इंगित हे, जननायक! मानस पीर हरो। ऋ.पृ.-104. उक्त छन्दों के अतिरिक्त प्रत्येक चरण में समान मात्राओं के छंदों की बहुलता है - जैसे, प्रत्येक चरण में 22-22 मात्राओं का छंद : उत्सुक नयनों में दुतप्रतिबिम्बित वाणी। 22 श्री नाभि नाभि से उत्थित वर कल्याणी। स्वीकृत हो, इस कन्या को ऋषभ वरेगा। नारी जीवन का नव सम्मान करेगा। ऋ.पृ. 49 से 59 तक। सर्ग15 14-14 मात्राओं से निबन्धित 8-8 चरण वाले छंदो की भी योजना ऋषभायण में हुई है। इसमें गीत तत्व की प्रधानता है। विजय की माला पहनकर, क्यों पलायन कर रहा है ? अभय का पहना मुकुट फिर, भीति में क्यों पल रहा है ? गूढ़ सी बनती पहेली, सत्य पर यह आवरण है, किस दिशा के छंद लय में, बढ़ रहा आगे चरण है। ऋ.पू. 290, ऋ.पू.-289 से 291 तक अर्द्ध सम मात्रिक छन्दों का प्रयोग महाकाव्य में प्रचुरता से किया गया है। कहीं-कहीं विषम चरण में 12-12 एवं सम चरणों में 14-14 तो कहीं-कहीं विषम चरणों में 16-16 एवं सम चरणों में 14-14 मात्राओं से कविता को निबन्धित किया गया है :- . 73]
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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