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________________ 2) मरूदेवा मर अमर हो गयी, दोहराया अपना विश्वास । ऋ.पृ.-157. उक्त कथन में माँ मरूदेवा के 'मरने के पश्चात् 'अमर' होने के विरोध का आभास होता है किंतु कथन का समर्थन इस रूप में हुआ है कि मरूदेवा 'सिद्धि प्राप्त करने से हमेशा-हमेशा के लिए ख्यात हो गयी। (9) अर्थान्तरन्यास : जहाँ सामान्य का विशेष से और विशेष का सामान्य से समर्थन किया जाय वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है। जैसे : 1) अमरबेल ने आरोहण कर, किया वृक्ष का शोष। ___ वह कैसा प्राणी जो करता, पर-शोषण, निज पोष। ऋ.पृ.-80. यहाँ अमरबेल के द्वारा वृक्ष के शोषण से (सामान्य) शोषक वृत्ति के व्यक्तियों की ओर संकेत किया गया है। इस प्रकार दोनों कथन एक-दूसरे का समर्थन करते हुए प्रतीत होते हैं। 2) चुम्बक में अपना आकर्षण, लोहा-खिंचता जाता। कौन सहायक दुर्बल जन का? कौन अबल का त्राता? ऋ.पृ.-177. चुम्बक का सामान्य गुण है, लोहे को आकर्षित करना। इस सामान्य कथन से शक्तिशाली द्वारा दुर्बल व अबल जन को पराजित करने का भाव है। अस्तु सामान्य विशेष के समर्थन से अर्थान्तरन्यास अलंकार है। (10) विशेषोक्ति : जहाँ संभूत कारण होते हुए भी कार्य की व्युत्पत्ति न हो वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है, जैसे : विपुल जलाशय में रहकर भी, हंत! प्यास से आकुल मीन। ऋ.पृ.-298. जलाशय में रहने वाली 'मीन' संभूत जल के रहते हुए भी प्यासी है। पर्याप्त कारण के होते हुए भी कार्य नहीं हो पा रहा है। | 49 |
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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