SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 347
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ युक्त प्राणी के रूप में वर्णन करके मनुष्योचित भावों से युक्त या मानसिक क्रियाओं को करने में समर्थ बतलाया जाता है। प्रकृति में चेतना का अस्तित्व समझकर उसके वर्णन में मानव-व्यापारों एवं भावों का समावेश होता है । मानवीकरण की तृतीय कोटि में अचेतन, मानसिक दशाओं आदि को मानव का व्यक्तित्व प्रदान किया ता है। आचार्य महाप्रज्ञ ने प्रकृति को सचेतन रूप में स्वीकार कर मानवीकरण परक बिम्ब सृजित किए हैं, जिसमें उन्हें पूर्णतः सफलता मिली है I ऋषभाषण में वर्णित जीवन का आधार प्रकृति है । मानवीय संवेदना प्राकृतिक संवेदना से जुड़ी है, इसलिए प्रकृति भी अपने उपादानों से अपने हर्ष विषाद को व्यक्त करती है। नवोदित शिशु के जन्म पर मंगलगीत गाये जाते हैं, चारों ओर प्रसन्नता ही प्रसन्नता होती है । ऋषभ जन्म के पश्चात् भी संपूर्ण वातावरण प्रसन्न है। समूची प्रकृति निहाल हो खुशियाँ मना रही है। यदि पवन संगीत गा रहा है तो कोमल पत्ते शहनाई वादन कर रहे हैं, वहीं पुष्प अपनी पंखुड़ी विकास से अंगड़ाई लेकर आनन्दित हो रहे हैं । प्रकृति के उपादान पवन, पल्लव और पुष्पों के क्रियाकलाप, मानवी क्रियाकलाप के अनुरूप संपादित हो रहे हैं । प्रकृति के इस प्रसन्नमय आयोजन से कवि संतानोत्पत्ति के पश्चात् समाज में प्रचलित परंपरा को भी बिम्बित किया है - सुरभि - पवन संगीत गा रहा, पल्लव - रव की शहनाई । किंशुक कुंकुम रूप हो गया, पुष्पों ने ली अँगड़ाई । ऋषभ सह सुमंगला एवं सुनंदा के पाणिग्रहण संस्कार के कल्पवृक्ष के कोमल पल्लवों को कवि ने गायक के रूप में भी चित्रित श्री नाभि ऋषभ परिकर - परिवृत हो आए, सुरतरू पल्लव ने मंगल गीत सुनाए । ऋ. पृ. 50 चक्ररत्न की पूजा-अर्चना कर जब भरत अपने प्रासाद में आए तब चारण के रूप में सूर्य की किरणों ने भी उनका विजयगान किया - अर्चा कर संपन्न नृपतिवर, निज आलय में आया । सूरज की उज्जवल किरणों ने, गीत विजय का गाया । ऋ. पृ. 35 अवसर पर किया है 327 ऋ. पृ. 163
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy