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________________ नयन कमल उत्फुल्ल सभी के, सबके मन में व्याप्त प्रमोद । जन्म नहीं ले पाई ईर्ष्या, वही पुरूष जिसमें आमोद।। ऋ.पृ. 191 प्रकृति के माध्यम से हर्ष भाव का मनोहारी दृश्य देखने योग्य है, जिसमें दिशा को वधू, मुख को कमल, तथा हर्ष को उर्मि के बिम्ब से बिम्बित किया गया दिग्वधू के मुख कमल पर, नयनहर मुस्कान है। हर्ष की उत्ताल ऊर्मी, का नया प्रस्थान है।। ऋ.पृ. 218 चक्रवर्ती पद पर भरत के अभिषेक को 'अमृत' तथा उनके मन की प्रफुल्लता को 'सुमन' के रूप में विकसित होती हुई कली के बिम्ब से प्रस्तुत किया गया है - एक ओर विनीत जनता, से बधाई मिल रही। अमृत का अभिषेक पा मन, सुमन कलिका खिल रही। ऋ.पृ. 218 युद्ध के लिए तत्पर तथा आक्रोशित भरतपुत्र सूर्ययशा के शौर्य पूर्ण कथन से सेनापति के हृदय में हर्षभाव की व्याप्ति का चित्रण निम्नलिखित पंक्तियों के द्वारा किया गया है यहां पुलकित शब्द द्वारा मन की उस आन्तरिक प्रसन्नता को चित्रित किया गया है जिससे हदय, मन और शरीर में एक ऊर्जा सी भर जाती पुलकित सेनापति का अंतस, सफल हुआ अविकल आयास। रजनी ने ली विदा त्वरिततर, फैला रवि का अमल प्रकाश।। ऋ.पृ. 263 भरत बाहुबली में संगर (युद्ध) की सूचना से बाहुबली की वज्र के समान कठोर व शक्तिशाली भुजा के प्रभाव से उनकी सेना में द्वन्द्व युद्ध के पूर्व ही विजयोल्लास का वातावरण निर्मित हो गया - हर्षित बहलीश्वर की सेना, अब निश्चित है विजयोल्लास। स्वामी का है बाहु वजमय, विफल बनेगा भरत प्रयास।। ऋ.पृ. 272 272
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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