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________________ समेटे हुए है। यहां बसंत की दृश्यता में गंध की चरम व्याप्ति का सहज अनुभव होता है - संयम जीवन सही वसंत, कण-कण में पुष्पित है संत । ऋ. पृ. 82 सत्य और संयम मुनिजीवन की जहाँ आधारशिला है वहीं जीवन का समग्र यशस्वी रूप भी है। इसके प्रभाव से संपूर्ण जीवन कल्मषों से दूर हो सौहार्द्र, प्रेम और करूणा से सराबोर हो जाता है। ऋषभ - दीक्षा के सुअवसर पर अर्द्धविकसित कलियाँ पूर्ण विकसित हो सम्पूर्ण प्राकार में सत्य - संयम के सौरभ का प्रसार कर रही हैं। - अधखिली कली में विकस्वर, कुसुम का आकार है, सत्य संयम की सुरभि का, बन रहा प्राकार है । ऋ. पृ. 93 महान आत्माओं की उपस्थिति प्रकृति के लिए विशेष आह्लादक होती है। आत्मसिद्धांत प्रतिपादन हेतु ऋषभ जब पुरिमताल के शकटानन में उपस्थित होते हैं, तब सहसा उद्यान में सभी वृक्ष हरे-भरे हो जाते हैं तथा उसका कण-कण सौरभ से स्नात हो जाता है कण-कण में सौरभ फैला है, करता है सबको आह्वान | कवि ने स्वतंत्रता की दिव्य अनुभूति का आस्वादन पारिजात पुष्प के परिमल के रूप में की है। भरत की सेना के प्रकोप से गिरिजनों को रक्षित तथा उनकी स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए कुलदेवता मेघमुख का कथन गन्धानुभूति से परिपूर्ण है पारिजात यह स्वतंत्रता का, पुष्पित रहे तुम्हारा । बन समीर परिमल फैलना, पावन कृत्य हमारा ।। ऋ. पृ. 174 यही नहीं, नमि और विनमि से संधि के पश्चात् भरत जब विनीता नगरी में प्रवेश करते हैं तब प्रकृति के सुरभिमय वातावरण में कृषकगण सोत्सव नयनों से उनका दीदार करते हैं - ऋ. पृ. 152 सुरभितर वातावरण प्रकृति का सारा कृषकों ने नृप को सोत्सव नयन निहारा । 192 ऋ. पृ. 185
SR No.009387
Book TitleRushabhayan me Bimb Yojna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSunilanand Nahar
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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