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________________ 128 दृष्टि का विषय में ध्याते हैं (अर्थात् एकमात्र शुद्धात्मा का ही ध्यान करनेयोग्य है, वही उत्तम है और उसके ध्यान से ही योगी कहलाता है), इसलिए निर्वाण को प्राप्त करता है, तो उससे क्या स्वर्गलोक प्राप्त नहीं हो सकता? अवश्य ही प्राप्त हो सकता है।' अर्थात् अनेक लोग स्वर्ग की प्राप्ति के लिये नाना प्रकार के अनेक उपाय करते देखने में आते हैं तो उस उपाय से तो कदाचित् क्षणिक स्वर्ग प्राप्त हो भी अथवा न भी हो, परन्तु परम्परा में तो उसे अनन्त संसार ही मिलता है; जबकि शुद्धात्मा का अनुभवन और ध्यान से मुक्ति मिलती है और मुक्ति न मिले तब तक स्वर्ग और स्वर्ग जैसा ही सुख होता है, इसलिए सभी को उसी का ध्यान करनेयोग्य है कि जो मुक्ति का मार्ग है और उस मार्ग में स्वर्ग तो सहज ही होता है, उसकी याचना नहीं होती ऐसा बतलाया है। गाथा ६६ अन्वयार्थ-'जब तक मनुष्य इन्द्रियों के विषयों में अपने मन को जोड़े रखता है (अर्थात् मन में इन्द्रियों के विषयों के प्रति आदरभाव वर्तता है), तब तक आत्मा को नहीं जानता (क्योंकि उसका लक्ष्य विषय है, आत्मा नहीं; इसलिए ही पूर्व में हमने कहा था कि मुझे क्या रुचता है?' यह मुमुक्षु जीव को देखते रहना चाहिए और उससे अपनी योग्यता की खोज करते रहना चाहिए और यदि योग्यता न हो तो उसका पुरुषार्थ करना आवश्यक है) इसलिए विषयों से विरक्त चित्तवाले योगी-ध्यानी-मुनि ही आत्मा को जानते हैं।' इस गाथा में आत्मप्राप्ति के लिये योग्यता बतलायी है। ‘शीलपाहुड़' गाथा ४ अर्थ-'जब तक यह जीव विषयबल अर्थात् विषयों के वश रहता है, तब तक ज्ञान को नहीं जानता और ज्ञान को जाने बिना केवल विषयों से विरक्त होनेमात्र से ही पहले बाँधे हुए कर्मों का नाश नहीं होता।' ___अर्थात् विषय विरक्ति वह कोई ध्येय नहीं परन्तु सम्यग्दर्शन जो कि ध्येय है, उसके लिये आवश्यक योग्यता है और वह भी एकमात्र आत्मलक्ष्य से ही होना चाहिए कि जिससे उससे आगे आत्मज्ञान होते ही, अपूर्व निर्जरा बतलायी है, परन्तु आत्मज्ञान के लक्ष्यरहित की मात्र विषय विरक्ति कर्म नष्ट करने में कार्यकारी नहीं है ऐसा बतलाया है, अर्थात् मुमुक्षु जीवों को एकमात्र आत्मलक्ष्य से विषय विरक्ति करना अत्यन्त आवश्यक है।
SR No.009386
Book TitleDrushti ka Vishay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayesh M Sheth
PublisherShailesh P Shah
Publication Year
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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