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________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (13) अपामार्ग की जड़ अविवाहित के हाथ से रोगी के हाथ में बंधवाने से सभी प्रकार के ज्वरों का निवारण होता है इसमें संशय नहीं है। ( 14 ) ज्वर खत्म हो - शमशान की मिट्टी में कोयला मिलाकर उसमें हथनी का दूध डाल दें और नीले वस्त्र से ताबीज बनाकर रोगी के गले में बाँध दें तो ज्वर खत्म हो जाएगा । (15) श्मशान में पैदा हुई दूब की जड़ को रविवार के दिन लाकर सूत से लपेट कर हाथ में बाँधने से सर्व प्रकार का ज्वर मिट जाता है । (16) नील की जड़ को कान में बाँधने से सब प्रकार के ज्वर उतर जाते हैं। (17) चौलाई की जड़ को अपने सिर पर बाँधने से भयंकर ज्वर भी मिटता है । (18) जटामांसी की मूल लेकर उसके सात सम भाग करके उन्हें लाल रंग के धागे में पिरोकर भुजा में धारण करने से सभी प्रकार के ज्वर एवं पेचिश । (4) कान दर्द दूर करने का तंत्र (1) गुंजा की जड़ को कान पर बांधने से भी दाढ के कीड़े झड़ जाते हैं। (2) दूधी की जड़ को कान में बाँधने से बारी से आने वाला बुखार उतर जाता है। (3) यदि रोगी का मलेरिया रोग किसी भी औषधि से नहीं मिटता है तो उसे अकस्मात् ऐसी बात कहो ताकि वह चमक सा जाय फिर मलेरिया निश्चित मिट जाएगा । ( 5 ) आँख में पीड़ा (1) आंख के सर्व रोग नष्ट हों :- मनुष्य की खोपड़ी पर, रतांजन, भीमसेन कपूर तथा रवि पुष्य के दिन जिस स्त्री के पहली बार प्रसूति में पुत्र पैदा हुआ हो उस स्त्री के दूध में, रवि पुष्य के दिन गोली बनावे, काम पड़े तब तीन दिन आंख में अंजन करने से, आंख के सर्व रोग नाश को प्राप्त होते हैं । (2) माँ का दूध आँखों में डालने से दुखती आँखें ठीक हो जाती हैं। (3) आँख में पीड़ा :- यदि आंख में पीड़ा हो तो किसी भी शिशु (बच्चे) की माँ के बांये स्तन के दूध की कुछ बूंदे आंख में टपकवा लें, पीड़ा तत्काल दूर हो जाती । (4) रोना बन्द हो - खड़िया मिट्टी को कपड़े की थैली में डालकर गले में बांधने से अधिक रोना बन्द होता है । ( 6 ) निद्रा स्तंभन (1) निद्रा स्तंभन - कटेली की जड़ को और मुलहठी को समभाग में लेकर पीसे, फिर नाक से सूंघे तो निद्रा का स्तंभन होय । 437
SR No.009382
Book TitleTantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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