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________________ में उपचार की प्रभावशील सबसे आवश्यक और प्राथमिक है। उसके अभाव में किए गए शोध और चर्चा का विशेष महत्त्व नहीं होता। स्वावलम्बी अहिंसात्मक चिकित्सा पद्धतियाँ रोग के मूल कारणों को दूर करती हैं। शरीर, मन और आत्मा में तालमेल एवं सन्तुलन स्थापित करती हैं। जो जितना महत्त्वपूर्ण है, उसको उसकी क्षमता के अनुरूप महत्त्व एवं प्राथमिकता देती है। शारीरिक क्षमताओं औश्र उसके अनुरूप आवश्यकताओं में सन्तुलन रखती है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए जो अनावश्यक, अनुपयोगी प्रवृत्तियाँ हैं, उन पर नियन्त्रण रखने हेतु सचेत करती है। इस प्रकार आदि T, व्याधि और उपाधि के सन्तुलन से सामधि शान्ति और सवस्थता प्रधान करती है, अतः अन्य चिकित्सा पद्धतियों से अधिक प्रभावशाली होती है। आवश्यकता है जिस.. किसी चिकित्सा को अपनाया जाए, उपचार अथवां आचरण करते समय उसके मूल .. सिद्धान्तों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। स्वावलम्बी अहिंसक चिकित्सा की यह . प्रथम आवश्यकता है। स्वास्थ्य सेवा में अहिंसा का पालन आवश्यक . किसी भी जीव को स्वस्थ रखने में दिया गया सहयोग उत्कृष्ट सेवा होती है। संवेदना जागे बिना सच्ची सेवा हो नहीं सकती। आधुनिक चिकित्सा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए मूक, बेबस, असंहाय जीवों पर विभिन्न प्रकार के प्राणघातक प्रयोग किए जाते हैं। लकड़ी में आग होती है। क्या उसको देखा जा सकता है? ठीक उसी प्रकार जानवरों के विच्छेद से शरीर के बनावट की जानकारी तो हो सकती है, परन्तु चेतना की उपेक्षा करने वाला ज्ञान कैसे पूर्ण, वास्ताविक और सच्चा हो सकता है? दवाइयों के निर्माण हेतु जीवों के अवयवों का बिना किसी परहेज उपयोग . होता है। औषधियों के परीक्षण हेतु जीवों को यातनाएँ दी जाती है। उनकी मान्यतानुसार मनुष्य के लिए सभी अपराध क्षमा होते हैं। क्या आपने कभी सोचा आपके दुःख, दर्द, रोग अथवा पीड़ा का क्या कारण है? यह ता आपके ही किएकी प्रतिक्रिया है। “क्रियाँ की प्रतिक्रिया” तो इस सृष्टि का सनातन सिद्धान्त है। हमने अतीत जीवन में या जन्मों में किसी को मारा है, पीटा है, सताया है, रूलाया है, प्रताड़ित किया है, उसी की सजा के रूप में रोग आते हैं। स्पष्ट है रोग का कारण हमारी क्रूरता, कठोरता, कामुकता से जुड़ा हुआ है। स्मस्तिष्क में अविवेक. एवं प्राणिमात्र के प्रति अशुभ चिन्तन सबसे बड़ा ब्रेन हेमरेज है तथा हृदय में दया, करूणा नहीं होना सबसे बड़ी हार्ट ट्रबल है। अपराध करने, करवाने और करने में सहयोग देने वाले प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में अपराधी होते हैं। हिंसा को प्रोत्साहन देने वालों की संवेदना प्रायः प्राणि मात्र के प्रति विकसित नहीं होती। इसी कारण आधुनिक चिकित्सक अपेक्षाकृत कम संवदेनशील होते हैं। रोग का सही निदान न जानने के बावजूद अपनी गलती न स्वीकार कर येन-केन-प्रकारेण रोगों को दबा वाहवाही . 92 . . .
SR No.009375
Book TitleSwadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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