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________________ जीवन के लिए भोजन, पानी, हवा, धूप जैसी प्राकृतिक ऊर्जाओं का आलम्बन, सहयोग आवश्यक होता है। शारीरिक प्रक्रियाओं को चलाने, शरीर के अवयवों को बनाने में दवा का उपयोग अथवा बाह्यय साधनों पर निर्भर रहना परावलम्बनता है। स्वावलम्बन स्वास्थ्य का प्रतीक है तो परावलम्बन रोग का सूचक। स्वावलम्बन का आधार होता है-सम्यक् ज्ञान, सम्यक् श्रृद्धा व सम्यक् आचरण। .. प्राथमिकताओं और लक्ष्य का सही चयन, क्षमता और आवश्यकताओं का सही. सन्तुलन एवं समन्वय । अतः जो चिकित्सा पद्धतियाँ व्यक्ति को जितना जितना स्वावलम्बी बनाने में सक्षम होती हैं वे उतनी अधिक उपयोगी एवं प्रभावशाली होती हैं। उपचार स्थायी और दुष्प्रभावों से रहित होता है। आज सबसे बड़ी समस्या अपने आप पर अनास्था की है। अपनी क्षमताओं से अनभिज्ञता की है। हमारे चिन्तनं, सोच का समस्त आधार भीड़, विज्ञापन, अन्धानुकरण, बाह्यय वातावरण होता है न कि स्वविवेक, सम्यक् चिन्तन । हम भूल जाते हैं कि करोड़ों सूर्यों की अपेक्षा व्यक्ति के लिए आँख का महत्त्व अधिक है। आरोग्य दो प्रकार के होते हैं। 1) स्वाभाविक 2) कृत्रिम । प्रकृति के नियमों का पालन कर जो आरोग्य प्राप्त किया जाता है वह स्थायी एवं स्वाभाविक होता है। रोगग्रस्त बनने के पश्चात् दवा एवं चिकित्सकों की सहायता और परामर्श से प्राप्त आरोग्य कृत्रिम व अस्थायी होता है। शक्ति बिना स्वास्थ्य नहीं ..स्वास्थ्य का आधार होता है ऊर्जा, शक्ति, ताकत, बल आदि। शक्ति और . स्वास्थ्य को कभी अलग नहीं किया जा सकता। कमजोर आदमी कभी शान्ति का अनुभव नहीं कर सकता। यदि हमारा शरीर, मन और भावना के स्तर पर कमजोर है ओर हम शान्ति की कामना करें तो यह कभी सम्भव नहीं हो सकता। जिसके ये ... तंत्र कमजोर हैं वह जरा-सी प्रतिकूलता में विचलित हो जाएगा। 'शान्ति की पहली शर्त है-शक्ति का विकास । हम शक्तिशाली बनें, अपनी शक्ति का विकास करें। क्रम से चलें। पहले स्तर पर है- आत्मिक शक्ति का विकास । दूसरे स्तर पर है-मानसिक शक्त्ति या मनोबल का विकास और तीसरे स्तर. पर है-शरीरिक शक्ति का विकास । शरीर में भी ज्ञान, नाड़ी आदि सभी तंत्र भी मजबूत होने चाहिए। शारीरिक शक्ति का मतलब शारीरिक सौष्ठव नहीं है। बहुत वजन उठा लेना या कुश्ती में जीतना ही नहीं है। शारीरिक शक्ति के विकास का अर्थ नाड़ी, ग्रन्थि, ज्ञान तंत्र, मस्तिष्क, मेरूदण्ड आदि का मजबूत होना है। यह सभी शक्तियां जिसमें विकसित होती है, उसे शक्तिशाली कहते हैं। आत्मिक विकास, 'मनोबल का विकास और शारिरिक विकास, इन तीनों का समन्वय ही शान्ति का .. आधार है। युद्ध में हजारों योद्धाओं को जीतने वाला वीर अपने इन्द्रियों और मन के . . - 20
SR No.009375
Book TitleSwadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChanchalmal Choradiya
PublisherSwaraj Prakashan Samuh
Publication Year2004
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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