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________________ सरल सामुद्रिक शास्त्र 17. कुशतन्वी- यह स्त्री दुबली-पतली तथा क्रोध करने वाली होती है, यह अपने आपको बहुत अधिक चतुर समझती है तथा जब बोलती है, तो इसका शरीर थरथराता रहता है। 18. मदमस्तिनी- यह घमंड में चूर तथा कामपिपासु होती है। इससे काम कला में हमेशा पुरुष ही पराजित होता है । यह कभी भी हार नहीं मानती । यह अत्यधिक कामी होती है तथा अन्त में यह वेश्या के समान हो जाती है। एक स्थान पर टिक कर बैठना इसको अच्छा नहीं लगता । 19. कुलच्छेदिनी यह स्त्री जिस घर में भी जाती है, उसको दरिद्र बना देती है। यह पाप कर्म से प्रेम करती है। पति को बात-बात पर धोखा देती है । माता पिता पति, भाई, ससुर आदि किसी की इज्जत की यह परवाह नहीं करती और लगभग दुराचारिणी होती है। 20. नारकी ऐसी स्त्री छोटी आंखों वाली तथा पाप कार्यों में रत रहने वाली होती है। यह आपस में एक दूसरे की लड़ाई कराने में प्रसन्न होती है। ऐसी स्त्री दगाबाज तथा असत्यभाषिणी होती है। 21. स्वर्गणी - ऐसी स्त्री उत्तम विचार रखने वाली, धर्म को मानने वाली तथा सभी के साथ मधुर व्यवहार करने वाली होती है। ईश्वर में इसका चित्त बहुत अधिक रहता है। यह छोटे बड़े सभी का सम्मान करना जानती है। इसकी वाणी मीठी होती है। समाज में इसका सम्मान होता है। ऐसी स्त्री पति को ईश्वर से भी ज्यादा सम्मान देती है। ऊपर मैंने स्त्रियों के कुछ भेद स्पष्ट किए हैं। इसके अलावा माननी, धारकी, दुष्टा, पातकी आदि भी स्त्रियों के कई भेद होते हैं। कुल भेद 64 माने गए हैं, जिनमें ऊपर लिखे हुए इक्कीस भेद मुख्य होते हैं। स्वर (स्त्रियों के लिए) 1. बोलते समय जिस स्त्री का स्वर वीणा के समान हो, वह श्रेष्ठ होती है। 2. कोकिल के समान स्वर वाली भाग्यशाली स्त्री 'मानी' जाती है । 80
SR No.009374
Book TitleSaral Samudrik Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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