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2.ब. अधिक दीर्घ हृदयरेखा भावनात्मक प्रवृत्ति को उत्पन्न करने वाली होती है, तथा छोटी हृदय रेखा अच्छी मानी गयी है।
2.स. हृदय रेखा जिस पर्वत को छूती हुई या स्पर्श करती हुई आगे की ओर जाती है या वहीं झुक जाती है, तो ऐसी हालत में पर्वत विशेष का गुण हृदय में अधिक पाया जाता है।
3.अ. यदि हृदय रेखा मस्तिष्क रेखा में पूरी तरह शामिल हो जाय, तो उस आयु में हृदय की स्वतंत्र ईकाई नष्ट हो जाती है और हृदय मस्तिष्क को प्रभावित करता है।
3.ब. जब कई सूक्ष्म रेखायें नीचे से चलकर हृदय रेखा पर धावा बोल दें तो व्यक्ति प्रेम का जाल इधर उधर फेंकता फिरता है। निरन्तर किसी को प्रेम न करके वे व्यभिचारी बन जाते हैं।
3.स. यदि हृदय रेखा चौड़ी और श्रृंखला युक्त हो तथा शनि क्षेत्र से शुरु हो तो वह स्त्री या पुरुष विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित नहीं होता तथा
एक दूसरे को घृणा की दृष्टि से देखता है। 4.अ. हृदय रेखा लाल और चमकीले रंग की होने पर व्यक्ति को हिंसात्मक वासना (बलात्कार) पूर्ति के लिए उत्सुक करती है। 4.ब. यदि बृहस्पति क्षेत्र से दोमुंही हृदय रेखा आती है तो व्यक्ति प्रेम के क्षेत्र में उत्साही, इमानदार और सच्चे दिल का स्वामी होता है।
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