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7. How to Study the Palm Lines
अध्याय -7 रेखाओं की अध्ययन विधि
हाथ तथा अंगुलियों पर अनेक छोटी-2 रेखायें होती हैं जिनका निर्माण गर्भ में तेरहवें सप्ताह से होना शुरु हो जाता है। यह लगभग बीसवें सप्ताह तक पूर्ण रुप से बन जाती है और इसी समय वर्तमान, भविष्य का विषय हाथ की रेखाओं में स्पष्ट हो जाता है। इसी समय त्वचा में भी रेखाएँ बनना शुरु हो जाती हैं, गर्भ में हाथ की अंगुलियाँ पहले बनती हैं, बाद में हथेली बनती है। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि पैर में कभी-2 पद्म रेखा पायी जाती है जो हाथ में भाग्य रेखा की भांति होती है। हाथ एवं त्वचा की अनेक बारीक रेखाओं के बारे में एन. जेक्विन ने अपनी पुस्तक में अच्छा प्रकाश डाला है। वास्तव में मनुष्य का व्यक्तिगत भाग्य गुप्त संस्कारों की प्रतिछाया है, जो ओचतन रुप से छिपा पड़ा है। स्वस्थ्य व्यक्ति की बारीक रेखाएँ मलेरिया या तीब्र रोग में अथवा विष आदि के प्रभाव से प्रभावित होती हैं तथा उनका आकार-प्रकार बदल जाता है। हस्त रेखा अध्ययन में सर्वप्रथम हथेली के आकार प्रकार वर्ग, जाति, आदि का अध्ययन किया जाय तत्पश्चात् पर्वतों का निश्चित् क्रम में अध्ययन होना चाहिए, सामुद्रिक शास्त्र व हस्तरेखा विज्ञान निश्चित ही विज्ञान है जिसका क्रमबद्ध अध्ययन आवश्यक है। जिसका क्रम इस प्रकार है। 1. हृदय रेखा 6. चन्द्र रेखा 2. मस्तिष्क रेखा 7. संतति एवं विवाह रेखा
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