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5. Mount Analysis
अध्याय-5
पर्वत विचार
प्रायः हथेली पर अंगुलियों के मूल में, कलाई के ऊपर, अंगूठे के नीचे, कुछ उभरी हुई मांसपेशियां दिखायी देती हैं, हस्तरेखा विज्ञान में इन्हें पर्वत कहा जाता है। संरचना के अनुसार ये फुसफुसे मांस पिण्ड होते हैं जिनमें रक्त और नाड़ियों की कोशिकाओं का सूक्ष्म, सघन समूह विखरा होता है। प्रत्येक पर्वत मस्तिष्क के अलग-2 भागों से नाड़ियों द्वारा सम्बन्धित रहता है, इस प्रकार वह अलग-2 मानसिक शक्तियों को प्रकट करता है। सूर्य पर्वत- अनामिका के नीचे चन्द्र पर्वत- कनिष्ठा के नीचे कलाई के ऊपर हथेली के भाग में मंगल पर्वत-इसके दो स्थान है, प्रथम, शुक्र और गुरु के बीच, और दूसरा चन्द्र और बुध के बीच बुध पर्वत- कनिष्ठा के नीचे गुरु पर्वत- तर्जनी के नीचे शुक्र पर्वत- अंगूठे के नीचे शनि पर्वत- मध्यमा के नीचे हथेली के बीच का भाग जो कि चारों ओर पर्वतों से घिरा होता है, इन पर्वतों के नाम विभिन्न ग्रहों के नाम पर सुविधा के दृष्टिकोण से रखे गये हैं, ये पर्वत सात हैं। हथेली में इनके विकसित अथवा अविकसित या किसी एक पूर्ण विकास के आधार पर भी कुछ विद्वान इन्हें सात वर्गों में विभाविजत करते हैं। बुध पर्वत- कनिष्ठा के निम्न भाग में यह क्षेत्र स्थित होता है जिससे रोमांस, बौद्धिक क्षमता, प्रेम, परिवर्तन, यात्रा, आदि से सम्बन्धी विचार किये जाते हैं। हाथ अगर अनुकूल हो तो ये गुण शुभ फल देते हैं, अगर प्रतिकूल हो तो अशुभ फल को जानना चाहिए।
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