SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राजयोग वाला हाथ मनुष्य के जीवन में जो भी योग बनता है सब भाग्य से ही बनता है। अगर किसी की भाग्य अच्छी होती है तो उसके हाथ की रेखाएं जन्म से ही अच्छी होती है तथा हाथ का आकार भी शुभ लक्षणों से युक्त होता है। राजयोग का अर्थ है कि नेता, राजनेता अभिनेता, मंत्री, राजा आदि जैसा रहन-सहन एवं शान शौकत हो, उसे राजयोग कहा जा सकता है। जिन स्थितियों में रेखाओं द्वारा राज योग बनता है, उन स्थितियों को प्रस्तुत चित्र में अधिक से अधिक दर्शाया गया है। प्रस्तुत हाथ की अंगुलिया सीधी है जीवन रेखा से एक शाखा शनि पर्वत की ओर प्रस्थान कर रही है जिसे अन्य भाग्य रेखा भी कहा जाता है। सभी अंगुलियां समान स्थान से निकली हुई है, कम से कम तीन अंगुलियों का आधार समान होना तथा अन्य लक्षण मिलना राजयोग कहलाता है। इनके हाथ का अंगूठा लंबा होता है मस्तिष्क रेखा में किसी भी प्रकार का दोष नहीं पाया जाता। ये हमेशा बौद्धिक कार्य करते हैं तथा बड़े पदवी को संभालते हैं। ऐसे व्यक्तियों का हाथ बहुत कोमल एवं मुलायम होता है तथा इनमें सहनशीलता खूब होती है। इनके हाथ के सभी ग्रह उन्नत होते हैं तथा हाथ का रंग लाल होता है, जो सभी दोषों को नष्ट कर देता है। इन्हें यात्रा करने का अपना अलग ही तरीका होता है। शनि की अंगुली लंबी है जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि धन और सफलता दोनों इनका साथ दे रहा है। ऐसे व्यक्तियों के हाथ पर गुरु ग्रह के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की खराब रेखाएं नहीं होती तथा गुरु ग्रह उन्नत होता है। अच्छी जीवन रेखा के साथ भाग्य रेखा भी अच्छी ही होती है। भाग्य रेखा और जीवन रेखा परस्पर दूर होना एवं मस्तिष्क रेखा शीर्ष रेखा में अन्तर होने से ये व्यक्ति दान करने में आगे होते हैं तथा पैतृक प्रतिष्ठा एवं सम्पति के स्वामी होते हैं। यदि ऐसे हाथ में सूर्य रेखा कटी हो, गुरु 181
SR No.009372
Book TitleSaral Hastrekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year2001
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy