SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 3.अ. बुध-पर्वत पर दो या तीन खड़ी रेखायें - डाक्टरी व्यवसाय में सफलता। 3.ब. चौथी उंगली पर दो स्पष्ट खड़ी रेखायें -नर्स व्यवसाय में सफलता। 3.स. सूर्य तथा बुध पर्वत बहुत विकसित अंगूठा दोनों हाथों में बहुत नीचे धंसा हुआ, साथ में बुध पर्वत हाथ के बाहरी सिरे तक फैला हुआ आविष्कार की प्रतिभा। 4.अ. चौथी उंगली दूसरी उंगली के समान लम्बी, मस्तिष्क रेखा पर बुध पर्वत के निकट त्रिकोण अथवा सफेद धब्बे । चौथी उंगली की जड़ से प्रथम पर्व तक रेखा वैज्ञानिक कार्यों में सफलता। 4.ब. अन्तः प्रेरणारेखा का उदय द्वीप के साथ, मस्तिष्करेखा का अन्त चन्द्रपर्वत पर लम्बे सूक्ष्म शाखापुंज में चक्र की उपस्थिति यानि हृदयरेखा की एक शाखा बृहस्पति पर्वत को घेरेहुए, अर्न्तदृष्टि की प्रतिभा। 4.स. बिकृत सूर्यपर्वत कला में असफलता। 5.अ. मस्तिष्क रेखा से एक सीधी स्पष्ट रेखा तीसरी उंगली की जड़ को पूरे आकार की हो। भाग्य रेखा सीधी सूर्य क्षेत्र की रेखा कटी हुई न हो और न ही इस पर दण्ड रेखायें हों। सूर्य रेखा दोनों हाथों में जीवन रेखा में उदित कला में सफलता। 132
SR No.009372
Book TitleSaral Hastrekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year2001
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy