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________________ 10. The Line of Head अध्याय - 10 शीर्षरेखा (मस्तिष्क रेखा) शीर्ष रेखा या मस्तिष्क रेखा का मानव की मनोभावना, विचारधारा, विचार सारणी, बौद्धिक शक्ति आदि से सम्बन्ध होता है। कुछ विद्वानों का कहना है कि अलग-अलग स्थानों से इसका आरम्भ होता है। यदि मस्तिष्क रेखा थोड़ा भी विकृति या दोषयुक्त होगी, तो मस्तिष्क को प्रभावित करेगी और पूरे जीवन का नाश भी कर सकती है। यह आठ प्रकार की मानी गई है:वराटिका, मृगीगति, कुमुखी , विराट विभूति, पांसुला, कृष्णकचा, सुभद्र देहा, नागी मृगीगति आदि। कुछ विद्वान यह भी मानते हैं कि जीवन रेखा एवं मस्तिष्क रेखा का आपस में गहरा सम्बन्ध है, क्योंकि बिना मस्तिष्क का मानव जीवन व्यर्थ है। निःसन्देह मस्तिष्क रेखा हथेली की सर्वाधिक महत्वपूर्ण रेखा है। मस्तिष्क रेखा का उदय गुरु और जीवन रेखा के बीच कहीं से भी होना संभव है। 1.अ. जब जीवन रेखा से निकलकर विचित्र बिन्दु पर अलग होकर स्वतंत्र चलती है, तो वह बिन्दु मनुष्य की मानसिकता का प्रभावी होने का बिन्दु 1.ब. जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा द्वारा बनने वाला कोण जितना बड़ा होगा, मनुष्य उतना ही स्वतंत्र और संवेदनशील होगा। उसका मस्तिष्क जरा-जरा सी बातों से प्रभावित होगा। 1.स. जीवन रेखा से स्वतंत्र आरम्भ होने वाली मस्तिष्क रेखा उसकी विचार धारा अधिक स्वतन्त्र करती है। ऐसे व्यक्ति कुसाग्र बुद्धि, स्पष्ट चिंतन और व्यवहारिक तथा आदर्शों वाले होते हैं। 124
SR No.009372
Book TitleSaral Hastrekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year2001
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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