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________________ • दोनों हाथों में जीवन रेखा का अन्त का क्रास-श्रृंखला में, साथ में निकृष्ट भाग्य रेखा सूर्य पर्वत बहुत सी छोटी-छोटी शाखाओं में काटता हुआ पर्वत के समीप सूर्य रेखा छोटी-छोटी रेखा श्रृंखला में समाप्त - असफलता । • शुक्र वलय, पुष्ट परन्तु सूर्य पर्वत के नीचे गहरी खड़ी रेखा से कटा हुआ तीसरी उंगली की जड़ से उठती हुई बहुत सी रेखायें पहले पर्व तक जोड़ों को काटती हुई - स्त्रियों के कारण असफलतायें । • बुध पर्वत पर तारक चिह्न, साथ में निम्न बृहस्पति पर्वत अपमान एवं असफलता । • सूर्य पर्वत पर एक पुष्ट तथा तारक चिह्न में समाप्त रेखा, साथ में दोनों हाथों में स्पष्ट सूर्य रेखा - प्रतिभा से ख्याति लाभ । . • त्रिकोण के निचले भाग (अन्दर ) पर एक क्रास जीवन के उत्तरी भाग में भाग्यशाली घटनाएं। अच्छी भाग्य रेखा, साथ में सूर्य पर्वत पर तारक चिह्न सूर्य पर्वत पर साधारण खड़ी रेखायें यदि दोनों हाथों में स्पष्ट और अनकटी हों - संयोग से ख्याति लाभ | • हृदय तथा मस्तिष्क रेखायें बृहस्पति पर्वत के नीचे शाखापुंजदार, बुध पर्वत पर एक गहरी रेखा । शुक्र पर्वत से लेकर बुध पर्वत की एक रेखा । एक गहरी खड़ी रेखा बृहस्पति पर्वत पर अच्छे भाग्य की परिचायक । • सूर्य रेखा एक ही लम्बाई की तीन सम शाखाओं में समाप्त एक बुध पर्वत की ओर तथा एक शशि पर्वत की ओर - ख्याति और सम्मान । • पुष्ट मंगल रेखा की उपस्थिति और स्वास्थ्य रेखा के साथ-साथ गौण रेखा के रूप में उत्तम बुध रेखा - बहुत अधिक सुख । तीसरी उंगली के तीसरे पर्व पर एक सरल रेखा शनि पर्वत पर एक स्पष्ट रेखा जिसमें से ऊपर की किरणें उठ रही हों। मणिबन्ध के प्रथम वलय के रूप में एक बिना टूटी रेखा - सामान्य प्रकार के सुख । • मणिबन्ध पर बहुत सी शाखायें मणिबन्ध से ही सूर्य पर्वत को एक सरल • 117
SR No.009372
Book TitleSaral Hastrekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshwardas Mishr, Arunkumar Bansal
PublisherAkhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh
Publication Year2001
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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