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5.अ. जंजीरनुमा भाग्य रेखा व्यक्ति को दुःख में डाल देती हैं
5. ब. दो भाग्य रेखा हो तथा उसमें कोई दोष
न हो तो व्यक्ति उन्नति करता है, सम्मान प्राप्त करता है, यह रेखा समानान्तर होगी तो भी शुभ फल प्रदान करेगी।
5. स. यदि भाग्य रेखा हाथ को पार करके
मध्यमा में पहुंच जाये तो लक्षण शुभ नहीं होता, वह व्यक्ति हमेशा सीमा और नियम कायदे का उल्लंघन करता है ।
6. अ. यदि भाग्य रेखा शीर्ष रेखा पर ही रूकती हो तथा पुनः वहां से वृहस्पति क्षेत्र में पहुंचती हो तो व्यक्ति को प्रेम भावना के कारण बाधा उत्पन्न होती है । परन्तु गुरु के प्रभाव से पुनः प्रेम सम्बन्ध से सहायता द्वारा अभिलाषा पूर्ण होती है ।
6. ब. शीर्ष रेखा द्वारा भाग्य रेखा रुक जाय तो व्यक्ति को स्वयं की गलती से असफलता मिलती है।
6. स. मंगल पर्वत से भाग्य रेखा शुरु होने पर भ्रम, शंका आदि का डर रहता है। यही
रेखा शनि क्षेत्र पर जाने से बाधाओं में सफलता तथा धैर्य, श्रम, और लगन से उन्नति होती है ।
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