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भाग्य रेखा का उद्गम स्थान मणिबन्ध है, वहां से निकलने वाली रेखा मध्यमा अंगुली की ओर जाती है। इस रेखा के मार्ग में आने वाले अनेक चिह्न एवं रेखाओं का भिन्न-भिन्न अर्थ निकलते हैं। 1.अ. भाग्य रेखा आयु रेखा में से निकलकर शनि पर्वत को जाये तो व्यक्ति का शुरुआती जीवन कुछ कठिनाई युक्त व्यतीत होता है। मेहनत से कार्य करके ये लोग प्रायः 21 वर्ष की आयु के पश्चात उन्नति करते हैं। 1.ब. भाग्य रेखा के शुरुआत में अगर यव का निशान होवे तो उसका जन्म रहस्मय बताया गया है, इन लोगों को बाल्यकाल में काफी कुछ खोना पड़ सकता है। 1.स. मणिबन्ध से प्रारम होनेवाली भाग्य रेखा शुभ मानी जाती है। आरम्भ में यदि मत्स्य रेखा हो तो अत्यन्त शुभ माना जाता है। यही रेखा चौकोर हाथ में होने से व्यक्ति काफी अधिक धन कमाता है तथा काम से जी नहीं चुराता है। यही रेखा दार्शनिक हाथ में होने से कम काम करने से अधिक पैसा प्राप्त होता है। 2.अ. मस्तिष्क रेखा से भाग्य रेखा शुरु होने पर काफी परेशानी को झेलने के बाद व्यक्ति का कार्य प्रगति पथ की ओर अग्रसर होता पाया गया है। 2.ब. यदि भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती है तो व्यक्ति की बृद्धावस्था सुखमय व्यतीत होती है। 2.स. भाग्य रेखा के समाप्ति स्थान पर क्रास का चिह्न घातक संकेत है।
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