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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर (1) अण्डकोष वृद्धि व खाख बिलाई मंत्र : ऊँ नमो नलाई-ज्यां बैठ्या हनुमंत आई __पके न फुटे चले बाल जति रक्षा करे। गुरु रखवाला शब्द सांचा पिंड काचा चलो मंत्र ईश्वरो वाचा सत्य नाम आदेश गुरु को। विधि :नीम की डाली से २१ बार झाड़े तो अण्डकोष वृद्धि तथा खाख बिलाई ठीक होय। (2) एक अन्य प्रयोग के अन्तर्गत सम्बन्धित व्यक्ति शयन करते समय निम्न मंत्र का २१ बार जाप अपने बिस्तर पर ही बैठकर करे तथा फिर सोये तो भी उसे स्वप्नदोष नहीं होता है। मंत्र इस प्रकार है:- “ॐ आर्यमायै नमः" (104) बाला (नहरवा) मंत्र (1) बाला (नहरवा) मंत्र : ॐ नमो मरहर दे शंक सारी गांव महामा सिधुर चांद से बालै कियो विस्तार बालो उपनो कपाल भांय या हुँतियो गीहु ओ तोड़ कीजै नै डबाला किया पाचे फुटे पीड़ा करे तो विप्रनाथ जोगीरी आज्ञा फुरे। विधि : कुमारी कन्या के हाथ से कते सूत की डोरी करके ७ गांठ मंत्र पढ़कर लगा दें फिर पैर में बांध दें तो बाला ठीक हो जाएगा। (105) दाद ,खुजली, घाव, फोड़ा ठीक मंत्र (1) दाद रोग दूर मंत्रॐ गुरूभ्यो नमः देव देव पुरी दिशा मेरूनाथ दलक्षना भरे विशाहतो राजा वैरधिन (पैराधिन) आज्ञा राजा वासुकी के आन हाथ वेगे चलाव। विधि- इस मंत्र से पानी २१ बार मंत्रित कर पिलाने से दाद का रोग दूर होता है। (2) खुजली दूर मंत्र- ॐ विमिचि भस्यकरी स्वाहा। इस मंत्र से खुजली दूर होती है। विधि- इस मंत्र को पानी पर पढ़कर वह पानी पिलाने से दाद दूर होता है। (3) घाव की पीड़ा का मंत्र- सार सार बिजै सारं बांधू सात बार फूटे अन न ऊपजे घाव सीर राखे श्री गोरखनाथ। विधि- इस मंत्र को सात बार पढ़कर घाव पर फूंके तो पीडा कम हो, घाव भरे। (4) व्रणहर मंत्र- ॐ णमो जिणाणं जावयाणं पुसोणि अं ए एणि सव्ववायेण वणमापच्चं उमाघुष उमा फुट् ॐ ॐ ॐ ठः ठः स्वाहा। विधि- इस मंत्र से राख अभिमंत्रित कर व्रण (जिनको बण भी कहते है) जो बालकों के शरीर पर हो जाते हैं, उन पर अथवा शीतला के व्रणों पर लगावें तो मिट जाते हैं। (5) घाव पीड़ा नाशक मंत्र- सार सार बिजै सरं बांधू सात बार फटे अन्य उपजे घाव सीर राखे श्री गोरख नाथ। विधि- इस मंत्र को ७ बार पढ़कर घाव पर फूंक मारे तो घाव की पीड़ा कम होवे और घाव 182
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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