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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर || - No Fooo ॐ ह्रीं अयं प्रतिदिनं देवदर्शन संस्कारः इह शिष्यौ स्फुरतु स्वाहा। ॐ ह्रीं अयं अष्ट मूलगुण संस्कारः इह शिष्यौ स्फुरतु स्वाहा। ऊँ ह्रीं अयं सप्तव्यसन त्याग संस्कारः इह शिष्यौ स्फुरतु स्वाहा। ऊँ ह्रीं अयं जैन धर्म अहिंसा संस्कारः इह शिष्यौ स्फुरतु स्वाहा। ॐ ह्रीं अयं सम्यकदर्शन संस्कारः इह शिष्यौ स्फुरतु स्वाहा। ऊँ ह्रीं अयं सम्यक्ज्ञान संस्कारः इह शिष्यौ स्फुरतु स्वाहा। ऊँ ह्रीं अयं सम्यक्चारित्र संस्कारः इह शिष्यौ स्फुरतु स्वाहा। ऊँ ह्रीं अयं सुशिष्य संस्कारः इह शिष्यौ स्फुरतु स्वाहा। ऊँ ह्रीं सम्यकदर्शन, सम्यकज्ञान, सम्यकचारित्र संस्कारः इह शिष्यौ भवतु । 10. ऊँ ह्रीं अहँ णमो सम्पूर्ण कल्याणं मंगलरूप मोक्ष पुरूषार्थ भवतु। 11. श्री मूल संघे, कुन्दकुन्द आम्नाय, बलात्कार– गणे सेन गच्छे, नन्दी संघस्य परम्परायाम्, श्रीमहावीर कीर्ति आचार्य जातास्तत् शिष्यः श्री विमलसागराचार्य –जातास्तत् शिष्यः श्री पुष्पदन्ताचार्यः जातास्तत् शिष्यः अहम् मुनि प्रार्थनासागर अमुकस्य अमुकनाम् भवतु। 12. निम्न मंत्रों में से कोई भी एक मंत्र कान में तीन बार पढ़कर प्रदान करें 1. ऊँ ह्री श्री त्रिकाल सम्बन्धी पंच परमेष्ठीभ्यो नमः 2. ऊँ ह्रीं अर्ह अ सि आ उ सा नमः ॐ ह्रीं णमो सव्व जिणाणं । ॐ नमः सिद्धेभ्य;" 5. ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अहम् नमः | 6. "ॐ ह्रीं नमः" 7. ऊँ ह्रीं णमो वड्ढमाणं 8. ऊँ ह्रीं श्रीं महावीराय नमः नोट - इस प्रकार राशि के अनुसार किसी भी तीर्थंकर का मंत्र दे सकते हैं। (8) अन्त में लघु समाधि भक्ति पढ़कर दीक्षा विधि पूर्ण करें। शिष्य गुरू को नमस्कार कर 9 बार णमोकार मंत्र पढ़ें। पुनः नमस्कार कर स्थान से उठे और अपनी अंजली वाला श्रीफल घर में जाकर लाल कपड़े में बाँधकर पूजन के स्थान पर रखे। तथा गुरू के द्वारा दिये मंत्र की एक माला नित्य जाप करे। 134- मुनि दीक्षा विधि (1) दीक्षा पूर्व तैयारी :- विधान सामग्री - 25 श्रीफल, 1 किग्रा0 सुपाड़ी , केशर (चंदन), 5 किग्रा0 चावल, 100 ग्रा0 लौंग, पूजन सामग्री, 1 कि0ग्रा0 काजू , 1 कि0ग्रा0 बादाम गिरी, 1 कि0ग्रा0 खारक, 1 कि0ग्रा0 मखाने, 1 कि0ग्रा0 किशमिश, 1 मीटर सफेद कपड़ा, 250 ग्राम दूध, 1 लोटा जल, 2 टावल, पिच्छी, कमण्डल, शास्त्र, दशभक्ति की 1247
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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