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________________ O मंत्र यंत्र और तंत्र करोमि । * निम्नलिखित मंत्र को ७ बार पढ़ते हुए चरण स्पर्श करें। मंत्र - १. ॐ अर्हद्भ्यो नमः । केवललब्धिभ्यो नमः । क्षीर स्वादुलब्धिभ्यो नमः । मधुर स्वादुलब्धिभ्यो नमः। बीज बुद्धिभ्यो नमः । सर्वावधिभ्यो नमः । परमावधिभ्यो नमः। संभिन्न श्रोतृभ्यो नमः । पादानुसारिभ्यो नमः । कोष्ठबुद्धिभ्यो नमः । परमावधिभ्यो नमः ॥ o मंत्र अधिकार * मंत्र मुनि प्रार्थना सागर २. ॐ ह्रीं वल्गु वल्गु ॐ वृषभादिवर्धमानांतेभ्यो वषट् वषट् स्वाहा। चरण पादुका प्रतिष्ठा मंत्र ॐ ह्रीं श्रीमंतं चरण पादुका स्थापनं करोमि । फिर अर्हत के चरणों पर ॐ ह्रां, सिद्ध के चरणों में ॐ ह्रीं, आचार्य के चरणों में ॐ हूँ, उपाध्याय के चरणों में ॐ ह्रौं, साधु के चरणों में ॐ ह्रः लिखकर १०८ बार जप करें। तत्पश्चात् सिद्ध, आचार्य, निर्वाण, भक्ति उन साधु जैसे करें । शास्त्र (जिनवाणी) प्रतिष्ठा मंत्र श्रुतभक्ति पढ़कर सरस्वती पूजन भी करें । ॐ अर्हन्मुख कमल निवासिनि पापात्मक्षयं करि श्रुत ज्वाला सहस्र प्रज्वलिते सरस्वति अस्माकं पापं हन हन दह दह पच पच क्षां क्षीं क्षू क्षौं क्षः क्षीरवर धवले अमृत संभवे वं वं हूँ हूँ स्वाहा । (133. गुरू द्वारा दीक्षा ( शिष्यत्व संस्कार ) विधि सर्वप्रथम शिष्य के लिये निम्नलिखित नियम दे : (1) नित्य देव दर्शन करने का नियम (विशेष परिस्थितियों में छूट) (2) अष्टमूल गुण का नियम अर्थात बड़, पीपल, ऊमर, कठूमर, और पाकर इन पांच प्रकार के फलों का त्याग तथा मद्य (शराब) मांस एवं मधु (शहद) का त्याग। (3) सप्त व्यसन त्याग का नियम (जुऑ, मॉस, शराब, शिकार, वेश्यागमन, चोरी, परस्त्री सेवन इन सात चीजों का त्याग ) (4) रात्रि भोजन त्याग का नियम । इससे एक वर्ष में छह माह के उपवास का पुण्य मिलता है। और नियम न लेने वाले के लिए अमृतचंद आचार्य ने पुरूषार्थ सिद्धि उपाय ग्रन्थ में लिखा है कि रात्रि भोजन करने वालों को मांस भक्षण (खाने) के समान व रात्रि में पानी पीने वालों को खून पीने के समान पाप लगता है। (5) जल छानकर पीने का नियम । 245
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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