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________________ मंत्र अधिकार मंत्र यंत्र और तंत्र मुनि प्रार्थना सागर (ब) सुरेन्द्र मंत्र- ॐ ह्रां वषट् णमो अरहंताणं संवौषट् ॐ ब्लूं क्लीं द्रीं द्रां ह्रीं क्रौ आ सः ॐ नमोऽहं अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल ल ए ऐ ओ औ अं अः क ख ग घ ङ, च छज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, त थ द ध न, प फ ब भ म, य र ल व श ष स ह क्लीं ह्रीं क्रौं स्वाहा। (मंत्राराधना १०८ बार करें) (स) वर्द्धमान मंत्र- ॐ णमो भयवदो वड्माणस्स रिसहस्स जस्स चक्कं जलं तं गच्छइ __ आयासं पायालं लोयाणं भूयाणं जये वा विवादे वा रणांगणे वा थंभणे वा मोहणे वा सव्वजीवसत्ताणं अपराजिदे भवदु मे रक्ख रक्ख स्वाहा।(मंत्राराधना १०८बार करें) (१२) नीचे लिखे मंत्र को पढ़कर जिनेश मंजूषा पर पुष्प क्षेपण करें। अथवा जहां पर भी गर्भ कल्याणक स्थापन करना हो उस पर पुष्प क्षेपण करें। मंत्र- ॐ ह्रीं मरुदेव्यदि जिनेन्द्रमातरोऽत्र सुप्रतिष्ठिता भवन्तु स्वाहा। (१३) प्रतिमा पर केशर लगाने का मंत्र ॐ ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं ह्र: भगवदर्हत् प्रतिकृतिं सर्वांगशुद्धि कुरु कुरु स्वाहा। (१४) प्रतिमा मंजूषा में रखने का मंत्र ॐ नमो अर्हते केवलिने परमयोगिने अनंतविशुद्ध परिणाम परिस्फुरच्छुक्ल ध्यानाग्नि निर्दग्ध कर्मबीजाय प्राप्तानंतचतुष्टयाय सौम्याय शान्ताय मंगलाय वरदाय अष्टादशदोषवर्जिताय स्वाहा। (गर्भावतरणार्थ पुष्पाञ्जलिं क्षिपेत्) (१५) गर्भ अवतरण मंत्रनीचे लिखा मंत्र पढ़कर विधिनायक प्रतिमा को मंजूषा में स्थापित करके अब प्रत्येक तीर्थंकर के अवतरण का स्थान और माता का नाम उच्चारण कर मंजूषा बन्द करें। मंत्र- ॐ ह्रीं सर्वार्थसिद्धि अहमिन्द्र मरुदेव्यां कुक्षौ अवतरणं कुरु कुरु स्वाहा। (१६) मंजूषा आच्छादित करने का मंत्रनीचे लिखे मंत्र को पढ़कर मंजूषा को वस्त्र से आच्छादित करें। मंत्र- ॐ ह्रीं मंजूषा वस्त्रेण आच्छादयामि। (१७) जिस तीर्थंकर का पंचकल्याणक कर रहे हों उन तीर्थंकर के गर्भ कल्याणक के अर्घ चढ़ाएं और सिद्ध, चारित्र, शांति भक्ति का पाठ करें। अर्घ चढ़ाने का ( उदाहरणार्थ ) मंत्र- ॐ ह्रीं आषाढकृष्णपक्षे द्वितीयां मरुदेवी गर्भावतरिताय वृषभदेवाय अर्घ्यम् निर्वपामीति स्वाहा। 228
SR No.009369
Book TitleMantra Adhikar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrarthanasagar
PublisherPrarthanasagar Foundation
Publication Year2011
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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