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________________ अग्निहोत्र में इकट्ठा हुई भस्म संग्रहित करके उसे बीज के साथ मलें या फसल पर छिड़कें। पानी के घोल में यह पूरे खेत में भी, दी जा सकती है। 18. मल्चिंग - आच्छादन -- मल्च किसका कोई भी गलने वाली यानि विघटित होने वाली चीज अर्थात् पान - पत्ती, खरपतवार, फसल लेने के बाद छूटने वाले फसल के अवशेष हिस्से । अगस्त, ग्लिरिसिडिया, आजन, कड़वा नीम, करंज, एंडी आदि पेड़-पौधें की पान - पत्ती इत्यादि से नाइट्रोजन, उड़द, मूंग आदि द्विदल वनस्पति से स्फुरद, बैंगन, मूली, केला जैसे चौड़े पत्ते वाली वनस्पति से पलाश की प्राप्ति होती है । इनके विघटन से तेरह प्रकार के सूक्ष्म द्रव्य भी मिलते हैं। सावधानी मल्च की परत पतली या अधिक मोटी न हो। पतली परत होने से बास्पिभवन पर रोक नहीं लगेगी। तेज धूप से संरक्षण नहीं मिलेगा । मोटी परत डालने से आच्छादन घप्प हो तो नीचे हवा का प्रवेश नहीं होगा और अतिरिक्त पानी की भाप बनने में बाध पड़ेगी। पद्धति - तरीका बगीचे में के फलवाले वृक्ष लताएं, पेड़ों के तने से दो फीट की दूरी पर पेड़ों के चारों ओर आधा फिट गहराई, दो फीट चौड़ी खुदाई की जाये। जिससे पेड़ की सिंचाई उस क्यारी द्वारा होवे। इस क्यारी के ऊपर शुरू में बताये मुताबिक आच्छादन डालें। उस पर हर पंद्रह-बीस दिन के बाद गोबर मिश्रित पानी का घोल छिड़कने से मल्च का रूपांतर चंद दिनों में ह्युमस में हो जायेगा । फिर उन्हीं क्यारियों पर फिर से मल्च करें। इससे प्रचुर मात्रा में केंचुए और जीवाणु बढ़ेंगे और बढ़िया खाद उपलब्ध करायेंगे । और खेत को फिर दूसरी फसल के लिये जुताई करते हैं। इसके बदले कर्नाटक के किसान पत्तों - डंठलों का आच्छादन क्यारियों में करते हैं और तीन-चार बार उसी जगह पुनः फसल लेते हैं। इससे नई जुताई - नये बीज खाद, निंदाई-गुड़ाई, पानी में बचत करके कम श्रम में अधिक लाभ प्राप्त करते हैं। यह अंगार खरपतवार को नहीः किसान के भाग्य को जलाती है पतझड़ के मौसम में या फसल निकालने के बाद के अवशिष्ट को किसान जला देते हैं। इससे जानवरों का चारा जलता है, जिस खरपतवार के खाद द्वारा भूमि को अत्युत्तम भोजन प्राप्त होता उससे वह वंचित रहती है, उपयुक्त जीवाणु स्वदेशी कृषि ९४
SR No.009367
Book TitleGau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2013
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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