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________________ एक काम और करना होगा। हमको अपनी खेती को विदेशीकरण से बाहर लाने का। हमारे देश में जो पहले गाँव में तालाब की व्यवस्था होती थी, वो व्यवस्था अभी धीरे-धीरे टूट गई। अंग्रेजों ने तालाबों का सत्यानाशकैसे किया? जो तालाब हमारे देश के लोगों ने बनाये थे, हमारे पुरखों ने बनाये थे बड़ी मेहनत से, अंग्रेजों ने उन तालाबों के रख-रखाव पर ध्यान देना ही बन्द कर दिया। उन तालाबों के लिए पैसा देना भी बन्द कर दिया। तालाब की जब टूट-फूट होती थी, उसकी मरम्मत ठीक करना भी बन्द करवा दिया अंग्रेजों ने तो धीरे-धीरे तालाब खत्म होते गए, सुखते चले गए। और अब इस देश में क्या हो रहा है कि तालाब की जो जमीन होती है उसपर बिल्डिंग खड़ी हो जाती है। सरकार उसमें बिल्डिंग खड़ा कर देती है। तालाब का तो सत्यानाश होता ही है और वो जमीन भी चली जाती है। तो इसलिए हमको गाँव में फिर से तालाबों की व्यवस्था खड़ी करनी पड़ेगी। और गाँव-गाँव में तालाबों की व्यवस्था इसलिए खड़ी करनी पड़ेगी। क्योंकि हर गाँव में जो बारिश का पानी है वो बहकर गाँव के बाहर ना जाए। तालाब में एकठ्ठा हो जाए और हर गाँव में अगर एक तालाब बन जाये तो निश्चित रूप से मैं गारंटी से यह कह सकता हूँकि गाँव की जमीन के अन्दर का जो पानी है, जो वॉटर लेवल है, वो अपने आप उपर बढ़ जायेगा। हर गाँव में तालाब हो जाए, हर गाँव में तालाब में पानी इकठ्ठे होने की व्यवस्था हो जाए। तो हर जगह वॉटर लेवल बढ़ जायेगा। हर जगह पानी की सतह उपर आ जायेगी। तो ज्यादा से ज्यादा पानी जमीन के अन्दर इकट्ठा हो जायेगा। इसलिए तालाबों की व्यवस्था को पूरे देश में एक अभियान के तौर पर चलाना होगा। राजस्थान में जिस तरह के खूबसूरत तालाब होते थे। दक्षिण भारत में मालावार के इलाके में, मैसूर के इलाके में जिस तरह के खुबसूरत तालाब होते थे। वैसे ही तालाबों पुनर्निमाण का संकल्प आपको करना पड़ेगा और इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाना पड़ेगा। सिंचाई की व्यवस्था भी हमारे यहाँ अच्छी रही है। सिंचाई की व्यवस्था का गंभीरता से अध्ययन कर के आज हमको उसमें से यह बात निकालनी पड़ेगी कि सिंचाई की व्यवस्था में क्या आवश्यक बदलाव करने की जरुरत है। मुझे ऐसा लगता है कि अगर केमिकल्स फर्टीलायजर और केमिकल्स पेस्टीसाइड की व्यवस्था को खत्म कर दिया जाए तो ज्यादा पानी की जरूरत अपने आप खत्म हो जायेगी। वॉटर हमको चाहिए नहीं; ज्यादा पानी तो तब चाहिए जब केमिकल्स फर्टीलायजर डालें; पेस्टीसाईड डालें और यह डालना ही हम बन्द कर देगें। गोबर के खाद का इस्तेमाल करेंगे, गौमूत्र का पेस्टीसाइड इस्तेमाल करेगें तो ज्यादा पानी ७४ ................................................ स्वदेशी कृषि
SR No.009367
Book TitleGau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2013
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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