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________________ करेंतो एक गाय से करीब 80 टन खाद हर साल में बन सकता है और एक गाय से अगर 80 टन खाद एक साल में बन सकता है तो करीब-करीब बाजार की आज की कीमतों पर वो 25 से 30 हजार रुपये का खाद है। ___तो एक गाय का गोबर 25 से 30 हजार रुपये का खाद बना सकता है तो गौ पालन से दूध मिलेगा,घी मिलेगा, मख्खन मिलेगा ही। गाय के गोबर से आपके पूरे देश की खाद की जरुरत पूरी हो सकती है गाय के मूत्र से पूरे देश के कीटनाशक की जरुरत पूरी हो सकती है और अगर हम रासायनिक खादों का बहिष्कार कर सकें और रासायनिक कीटनाशकों का बड़े पैमाने पर बहिष्कार कर सकें तो हर साल इस देश का लगभग 20 हजार करोड़ रुपया भी बचेगा। भारत सरकार जो आयात करती है परदेशों से, उस परदेशी आयात में एक तो सबसे ज्यादा आयात होता है पेट्रोल का, डीजल का और पेट्रोलियम प्रोडक्टस का, और दूसरा सबसे ज्यादा भारत सरकार आयात करती हैरासायनिक खादों के रुप में। जो केमिकल्स फर्टीलाइजर इस्तेमाल किये जाते हैं उनमें भारत सरकार का लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का खर्चा होता है। विदेशों से रासायनिक खाद इम्पोर्ट करने मे खरीदने में वो 20 हजार करोड़ का भारत सरकार का खर्च बचेगा। और अब तो सरकार की स्थिति ऐसी हो गई है कि यह इम्पोर्ट करना जरुरी हो गया है क्योंकि गाँव-गाँव के जगह-जगहहर किसान यही इस्तेमाल कर रहेंहै, तो कहीं-कहीं से कर्ज लेकर ये सब रासायनिक खाद इम्पोर्ट करना पड़ता है। वो सरकार इम्पोर्ट करने से बच जायेगी। आयात होने से बचेगा और अगर आयात होने से हम बचालेगें तो हमारे देश का पैसा बचेगा डॉलर बचेगा, डॉलर बचेगा अगर हमारे देश का, तो कटोरा लेकर भीख माँगने की कहीं जरुरत नहीं पड़ेगी। और इस देश में स्वावलंबन की नीतियाँ फिर से लागू की जा सकेंगी। ऐसे ही कुछ और काम करिए आप, हमारी खेती का एक विदेशीकरण और हो रहा है बहुत सारी हम ऐसी चीजें पैदा करते हैं जिनकी हमारे समाज को कोई जरुरत नहीं हैं। उदाहरण के लिए सोयाबीन, ये जो सोयाबीन की खेती करना भारत के किसानों ने शुरु किया है इसकी भारत के समाज को कोई जरुरत नहीं है, वास्तव में सोयाबीन की जरुरत यूरोप को होती है। यूरोपियन समाज में सोयाबीन की जरुरत होती है। आप पूछेगें क्या जरुरत होती है यूरोप में सोयाबीन की? सबसे ज्यादा जरुरत होती है सोयाबीन की 'खली' यूरोप में जो बनायी जाती है और खिलाई जाती है सुअरों को, डुक्कर जिनको आप कहते हैं। यूरोप में जितने देश हैं उनमें से बहुत सारे देशों में डुक्कर का मांस खाया जाता है। सुअर का मांस खाया जाता है। तो सुअर को मोटा-ताजा बनाने के लिए उसको ज्यादा चर्बी चढाने के लिए, उसको स्वदेशी कृषि
SR No.009367
Book TitleGau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2013
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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