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________________ और जलवायु कृषि के काफी अनुकूल है। खेती के बहुत अनुकूल है। यहाँ जो मौसम है बहुत सातत्य वाला है जैसे उदाहरण के लिए आज सूरज निकला है तो कल भी निकलेगा, परसों भी निकलेगा, तीन महीने बाद भी निकलेगा, तीन साल बाद भी निकलेगा, बीस साल बाद भी निकलेगा, तीन सौ साल बाद भी निकलेगा, तीन हजार साल भी हो जायेगें तो भी निकलेगा। माने सूरज के निकलने में कही कोई कमी नहीं आने वाली भारतीय जलवायु में, लेकिन युरोप में यह बात सच नहीं है। युरोप में आज सूरज निकला है। कल नहीं भी निकलेगा। युरोप में कल सूरज निकला है, हो सकता है नौ महीने तक लगातार सूरज नहीं निकलेगा। क्योंकि युरोप के देशों में सामान्य रुप से साल में सिर्फ तीन महीने ही धूप निकलती है। बाकी नौ महीने तो वहाँ धूप निकलती ही नहीं है। सूर्य के दर्शन ही नहीं होते। तो जितना सातत्य भारत की जलवायू में है। भारत के मौसम में है। उतना सातत्य युरोप में नहीं है। उसी के साथ-साथ भारत की जो भूमि है, भारत की जो मिट्टी है खेत की वो बहुत नरम है। युरोप के खेतों की मिट्टी नरम नहीं है बहुत कठोर है। तो जिन देशों के खेत की मिट्टी बहुत कठोर होती है। वहाँ कृषि प्रधान व्यवस्था संभव नहीं होती है। और आपजानते हैं कि खेती के लिए मिट्टी का नरम होना बहुत जरुरी है। इसलिए भारत में कृषि कर्म बहुत प्रधान रहा। भारत का कृषि कर्म केन्द्र बिन्दू रहा पूरे समाज का। तो उसका सबसे बड़ा कारण है कि यहाँ की जलवायू बहुत अच्छी है। यहाँ की खेती की मिट्टी बहुत अच्छी है। दूसरा, यहाँ के लोगों को मौसम, जलवायू और मिट्टी से जुड़े हुए जितने कारक हैं। उनका बहुत अच्छा ज्ञान है। अगर यह कहा जाए कि भारत के किसान बहुत विद्वान आदमी हैं तो इसमें कोई शक नहीं है। वो जानता है कि बारिश कब आने वाली है। किसान को मालूम होता है गर्मी कब पड़ने वाली है। किसान को यह भी मालूम होता है कि सर्दी का समय जो आने वाला है वो कब आने वाला है और किसान उसके हिसाब से अपनी खेती की चर्या को बदल लेता है। बारिश में क्या करना है। गर्मी में क्या करना है। सर्दीयों में क्या करना है। यह सब बातें सामान्य रुपसे इस देश का हर किसान जानता है और इसलिए मैं उसको कहता हूँ कि उसको अपने जीवन को चलाए रखने के लिए जो जरुरी कारक हैं उनका बहुत अच्छा ज्ञान ____ तो एक तो जीवन का ज्ञान है। दूसरा, मौसम और जलवायू का ज्ञान है। तीसरा, मिट्टी बहुत अच्छी है। चौथा, यहाँ की जो जलवायु है समसीतोष्ण है। ना तो बहुत गर्मी है ना तो बहुत बारिश है। युरोप के देशों में कभी-कभी तो बहुत सर्दी पडती है। माइनस 40 डिग्री सेंटिग्रेट टेम्प्रेचर हो जाता है। माइनस 20 डिग्री सेंटिग्रेट टेम्प्रेचर १४ स्वदेशी कृषि
SR No.009367
Book TitleGau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2013
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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