SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विदाई देने के लिए खड़े थे। जैसे ही राजीव भाई वहाँ पहुँचे वैसे ही उनके दर्शन के लिए लोगों में अफरातफरी थी। सब अपने प्रिय राजीव भाई को अंतिम बार एक नज़र देख लेना चाहते थे। फिर तो दुबारा मिलना नहीं होगा। सिर्फ यादें ही रह जायेंगी। वहाँ अंतिम दर्शन के बाद एक छोटे से हवाई जहाज से उन्हें लेकर हम हरिद्वार के लिए निकल पड़े। __रायपुर से हरिद्वार का सफर कोई साढ़े तीन घंटे का था। हमारा हवाई जहाज उड़ा। हवाई जहाज के कुल चार सीटें थी। एक पर मैं था और दो पर छत्तीसगढ़ के दो भाई। राजीव भाई मेरे बगल में लेटे हुये थे। एक 6 फुट के बकसे में उनका शरीर बंद था। सफेद-सफेद बादलों के बीच में जब हम जा रहे थे तब बार-बार ऐसा लग रहा था कि राजीव भाई की आत्मा भी, यहीं कहीं बादलों में बीच में ही होगी। वह हमारे साथ ही चल रही होगी, वह तीन घंटे मेरे जीवन में नया मोड़ लेकर आये। सबसे पहले तो बार-बार यही बात मन में आ रही थी। अब क्या करें, कैसे करे, इस लड़ाई को कैसे आगे बढ़ाये, कैसे राजीव भाई के सपनों को पूरा करें। राजीव भाई के अन्दर भारत को विदेशी संस्कृति और शोषण से मुक्त कराने की और भारत को स्वदेशी,स्वावलंबी ओर स्वाभिमानी बनाने की जो तड़प थी, उसको कैसे बरकरार रखा जाये। उनकी यह तड़प सभी भारतीयों में कैसे प्रदीप्त की जाये। राजीव भाई का पूरा जीवन आँखों के सामने घूम गया। कैसे 20 साल का एक नौजवान, जो इलाहाबाद में इंजीनियर बनने आया, घरवालों ने आई.ए.एस., पी.सी. एस के खव्वाब देखकर इलाहाबाद भेजा, वह देश की गरीबी, भुखमरी और शोषण व अन्याय की लड़ाई में शामिल हो गया।शायद राजीव भाई में क्रांतिकारियों का ही खून था जो उन्हें इस क्षेत्र में लेकर आया। उनके जीवन के सभी उतार-चढ़ाव आँखों के सामने घूम गये और अन्त में तमाम विरोधों के बावजूद भारत स्वाभिमान के रूप में देश प्रेम के परवान चढ़ाने का समय भी देखा। लेकिन अचानक से यह ब्रेक लगी कि सबकुछ शीशे की तरह टूटा। उनके चरणों पर हाथ रखकर संकल्प लिया कि मैं जीवन भर राजीव भाई के सपनों को पूरा करने का वचन निभाऊँगा, जिस तरह राजीव भाई अंतिम सांस तक देश को स्वदेशी बनाने की लड़ाई लड़ते रहे उसी तरह मैं भी अनकी इस परम्परा को आगे बढ़ाते हुए अपना पूरा जीवन इसी लड़ाई के लिए समर्पित कर दूंगा। अपनी अंतिम सांसों तक देश को स्वदेशी बनाने की लड़ाई को जारी रखूगा और उनकी इस परम्परा को आगे बढ़ाते हुए अपना पूरा जीवन इसी लड़ाई के लिए समर्पित कर दूंगा। मन ही मन यहसंकल्प लिया और मन को मजबूत बनाया। आँसुओं को पौछा और कठोर हृदय करके इस लड़ाई का जुआ अपने कंधे पर डाल १० ..... स्वदेशी कृषि
SR No.009367
Book TitleGau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2013
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy