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________________ IAN कल्पसूत्रे प्रभोः सशब्दार्थ ॥८७४॥ चरित्रम् भिक्खादायारो नाम धन्न, भिक्खाए खीरं लद्धं, छउमत्थावत्थाकालो अद्ध- || पार्श्वनाथ सहियं तेसीइदिणं, धायइरुक्खतले चेइय किण्ह चउत्थ दिणे केवलणाणं, सावण सुक्क अटूमीए निव्वाणं, देहप्पमाणं नव रयणो नीलो वण्णो, सप्पलक्खणो, णायगगणहरों अज्जदत्तो, अग्गणी साहुणी पुप्फचूला, पब्वज्जाकालो सत्तरिवरिसो, गणहराणं संखा अट्ट अहवा दस, साहुणं संखा सोलससहस्सा, साहुणी संखा अद्वतीसं सहस्सा, सावगाणं संखा एगलक्ख चउसद्विसहस्सा, सावियाणं संखा तिष्णिलक्ख सत्तावीसं सहस्सा, साहुकेवलीणं एगसहसा, साहुणी केवलीणं संखा दो सहस्सा, ओहिनाणीणं संखा चत्तारिसयोत्तर एगसहस्सा, मणपज्जवनाणीणं संखा सत्तसया पन्नासा, चउद्दसपुवीणं संखा, तिण्णिसया | पन्नासा, वेउब्बियलद्धिधराणं संखा, एगसयोत्तर एगसहस्सा, वाईणं संखा ॥८७४/
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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