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________________ प्रभोः कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ।.७९२॥ अभिनंदन चरित्रम् दूरुहिय माह सुक्कचउद्दसीए दीक्खिओ जाओ, पढम भिक्खा दायगो इंददत्तो आसी, भिक्खाए वीरं लद्धं, अट्ठारससहस्सवरिसं छउमत्था वत्थायां, पोससुक्क चउद्दसीए पियंगुणाम चेइय रुक्खतले केवलकल्लाणं हवीअ, वेसाह सुक्क अट्ठमीए दिवसे निव्वाणकल्लाणगं, अद्धसहियं तिसयधणूपमाणं, वण्णो कंचणं, लक्षणं Mi कबी, वज्जणामो गणहरो अंतराणी णाम अग्गणी साहुणी, पव्वज्जा समयो एग लक्खपमाणो, साहुसंखा तिलक्खा, साहुणीसंखा तीस सहस्सोत्तर छलक्खा, सावगाणं संखा अट्ठ सहस्सोत्तर दो लक्खा, साबियाणं संखा सत्तावीससहस्सोत्तर पंचलक्खा, केवली साहुसंखा चउद्दससहस्सा, केवली साहुणीणं संखा चउद्दससहस्सा, ओहिनाणीणं संखा अट्ठसया, मणपज्जवनाणीणं संखा छसय पन्नासोत्तर एक्कारससहस्सा, चउद्दसपुव्विणं पंचसयोत्तर एगसहस्सा, वेउव्विय ७९२॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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