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________________ निग्गंथेण य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविठ्ठणं अन्नयरे अचित्ते अणेसणिज्जे पाणभोयणे पडिग्गाहिए सिया, अस्थि या इत्थ केइ सेहतराए अणुवहावियए कप्पइ से तस्स दाउं वा अणुप्पदाउं वा, नत्थि या इत्थ केइ सेहतराए अणुवट्ठावियए तं नो अप्पणा अँजिज्जा नो अन्नेसि दावए, एगंते बहुफामुए थंडिले पडिले हित्ता पमज्जित्ता परिद्ववेयवे सिया ॥१८॥ जे कडे कप्पट्ठियाणं कप्पइ से अकप्पट्ठियाणं, नो से कप्पइ कप्पट्ठियाणं, जे कडे अकप्पट्ठियाणं णो से कप्पइ कप्पट्ठियाणं कप्पइ से अकप्पट्ठियाणं, कप्पे ठिया कप्पट्ठिया, अकप्पे ठिया अकप्पट्ठिया ॥१९॥ भिक्खू य गणाओ अवकम्म इच्छेज्जा अण्णं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा पवत्तयं वा थेरं वा गणिं वा गणहरं वा गणांवच्छेयगं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा पेवतयं वा थेरं वा गणिं वा गणहरं वा गणावच्छेयगं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं उपसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, ते य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पइ अण्णं गणं उपसंपज्जित्ता गं विहरित्तए ॥२०॥ गणावच्छेयए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अण्णं गण उपसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, नो से कप्पइ गणावच्छेयगस्स गणावच्छेयगत्तं अणिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, कप्पइ गणावच्छेयगस्स गणावच्छेयगत्तं णिक्खिवित्ता अण्णं गणं उपसंपज्जित्ता णं विहरिक्तए, णो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा पंवत्तयं वा धेरै वा गणिं वा 'गणहरं वा गणावच्छेयगं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेयग वा अण्णं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ अण्णं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, ते य से णो वियरेज्जा एवं से णो कप्पइ अण्णं गण उपसंपज्जित्ता णं विहरित्तए ॥२१॥ आयरियउवज्झाए य गणाओ अवकम्म इच्छेज्जा अण्णं गण उवसंपज्जित्ता गं विहरित्तए नो से कप्पइ आयरियउचज्झायस्स आयरियउवज्झायत्तं अणिक्खिवित्ता अण्ण गणं उपसंपज्जित्ता ण विहरित्तए, कप्पइ से आयरियउवज्झायस्स आयरियउवज्झायत्त णिक्खिवित्ता अण्णं गणं उवसंपज्जित्ता ण विहरित्तए, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेयगं वा अण्णं गणं उपसंपज्जित्ता ण विहरित्तए, कप्पइ से आपुच्छित्ती
SR No.009358
Book TitleVyavaharasutram evam Bruhatkalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages536
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, & agam_vyavahara
File Size32 MB
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