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चन्द्रप्राप्तिस्त्रे मण्डलकाल परिमाण-मुहूर्तगतिपरिमाणकोष्टकम् १०९८००
एकस्मिनू युगे चन्द्रादयः, एक स्मिन् | एकस्मिन् परिपूर्णे मडले नामानि एपा भागाना मध्यात् कति मण्डलानि परि | युगेअर्द्ध | अर्थात् अर्द्ध मण्डल
चन्द्राढय कति भागान् | पूरयन्ति परिपूर्णानि | मण्डलानि । द्वये चन्द्रादीना कति गच्छन्ति
कति भवन्ति | समया भवन्ति, १७६८
| दिनानि मुहुर्ताः मु. भा.
कुर्वति,
८८४
१७६८
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सूर्य | १८३० १ ५' | १८३० | २ | १ | २२१ नक्षत्रम् | १८३५ । १७॥ | १८३५ | १ | २५ । ३०७ - तदेवं पूर्व चन्द्रादीनां गति रुक्ता, साम्प्रतमुक्तस्वरूपमेव चन्द्रसूर्यनक्षत्राणां परस्परं मण्डलभागविपयं विशेष निर्धारयति-'ता जयाणं चंदे' इत्यादि ।
मूलम्-जयाणं चंदं गइ समावणं सूरे गइ समावण्णे भवइ से णं गइ मायाए केवइयं विसेसेइ ? वावद्विभागे विसेसेइ। ता जयाणं चंदं गइ समावण्णं णक्खत्ते गइ समावण्णे भवइ से णं गइमायाए केवइयं विसेंसेइ ? ता सत्तहि भागे विसेसेइ । ता जया णं सूरं गद समावण्णं णक्खत्ते गइसमावण्णे भवड से णं गडमायाए केवइयं विसेसेइ । ता पंचभागे विसेसेइ । ता जयाणं चंदं गइसमावणं अभीईणखत्ते गइसमावण्णे पुरस्थिमाए भागाए समासाएइ पुरस्थिमाए भागाए समासाइत्ता णव मुहुत्ते सत्तावोस च सत्तटिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धि जोयं जोएइ जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, जोयं अणुपरियहिता विप्पजहड, विगय जोई यावि भवइ । ता जयाणं चंदं गइसमावण्णं सवणे णखत्ते गइसमावण्णे पुरथिमाए भागाए समासाएइ, पुर० समासाइत्ता तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोइत्ता अणुपरियट्टड अणुपरियट्टित्ता विप्पजहइ विगयजोई भवइ । एवं एपण अभिलावेणं णेयव्यं पण्णरसमुहुत्ताई, तीसं मुहुत्ताइं, पणयाली समुहत्ताई [जम्स जाई मुहत्ताई तस्स ताई] भाणियव्वाइं जाव उत्तरासाढा । ता जयाणं चंदं गइ समावणं गहे गहसमावण्णे पुरस्थिमाए भागाए समासाएट, पुर० समासाइत्ता नदेण सद्धि जोयं जोएइ, जोइत्ता.जोयंअणुपरियट्टइ, अणुपरियट्टित्ता विप्पजहड, विगयजोई यावि भवड । ता जयाणं मूरियं गइसमावण्ण अभीईणक्खत्ते गइसमावण्णे पुरथिमाए भागाए समामाएइ, समासाइत्ता चत्तारि अहोरत्ते छन्च मुहुत्ते मूरिगण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जाटत्ता जोयं अणुपरियट्टइ, अणुपरियट्टित्ता विप्पजहर विगय जोई यावि भवइ ।