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गायगोधों के घास, कबूतरों के चुगे के लिए एवं अन्य सहायता के लिए पृथक् पृथक् फंड स्थापित कर सेठिया जी ने परोपकार भावना का सुन्दर उदाहरण उपस्थित किया है ।
सेठिया नाइट कॉलेज की स्थापना करके आपने ज्ञान के नये आयाम प्रदान किये । रात्रि । को हाईस्कूल इन्टर बी. ए., एम. ए. एवं संस्कृत व हिन्दी की परीक्षाओं के लिए यहां नियमित कक्षाए लगती थी । रात्रि में आशुलिपि (शोर्ट, हेन्ड) की कक्षा भी खोली गई थी। । ।
उल्लेखनीय है कि उस समय बीकानेर में मेट्रिक से आगे की पढ़ाई नहीं थी और दिन को अर्थोपार्जन कर रात्रि को विद्याध्ययन कर अपनी उन्नति कर सके इसी दृष्टि से नाइट कॉलेज खोला गया था । उस समय बीकानेर में शिक्षा की चेतना कम थी उसे जागृत कर जो सेवा सेठिया जी ने की है उसे बीकानेर भूलेगा नहीं।
सेठिया जी स्वनिर्मित महापुरुष थे। गरीबी और अभाव की परिस्थितियों से उठकर उन्होंने ,अध्यवसाय, साहस एवं अथाक परिश्रम से अपने परिवार को ही समृद्धिशाली नहीं बनाया, . समाज की सेवा भी की । वे स्वावलम्बी थे और अहंकार उनसे कोसों दूर था ।
___मुनि न होते हुए भी आपका त्यागमय जीवन देखकर सबका मस्तक झुक जाता था । सदा साधक रहकर नवीन ज्ञान सीखते रहे और आपने अपने व्यवसायिक अनुभवों के आधार पर अनेक व्यापारी बनाये।
दिनांक २०-८-६१ को प्रातः दस बजकर पचास मिनिट पर संथारा पूर्वक आपने पार्थिव शरीर छोड़ा पर उनके कार्य अमर हैं । सेठिया जैन पारमार्थिक संस्था आज चहुंमुखी .. प्रगति पर है और समाज की सेवा कर रही है । संस्था ने शताधिक विद्वान तैयार किए हैं जो विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पदों पर हैं।
आप सदा स्वावलम्बी, साहसी, अध्यवसायशील एवं कर्मठ रहे ।