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________________ विपाकश्रुते टीका 'तए णं से इत्यादि । 'तए णं से सीहसेणेराया' ततः खलु स सिंहसेनो राजा 'इमीसे कहाए' अस्याः कथायाः पूर्वोक्तायाः ‘लद्धढे समाणे' लब्धार्थः सन् 'जेणेव कोवघरे' यत्रैव कोपगृहं 'जेणेव सामा देवी' यत्रैव श्यामा देवी स्थिता 'तेणेव उवागच्छइ' तत्रैवोपागच्छति, 'उवागच्छित्ता' उपागत्य 'सामं देविं' श्यामां देवीम् 'ओहयजाव पासइ' अपहतमनःसंकल्पां यावद्. आत्तध्यानं कुर्वतीं पश्यति 'पासित्ता' दृष्ट्वा ‘एवं वयासी' एवमवादीत् 'किं गं' किं खलु केन कारणेन खलु 'तुमं देवाणुप्पिया' त्वं हे देवानुप्रिये ! 'ओहय जावज्झियासि' अपहतमनःसंकल्पा यावद् ध्यायसी आतध्यानं करोषि ? । 'तए णं सा सामादेवी' ततः खलु सा श्यामा देवी 'सिंहसेणेणं रम्ना' सिंहसेनेन राज्ञा 'एवं वुत्ता समाणी' एवमुक्ता सती 'उस्फेण-उप्फेणियं' उत्फेनोत्फेनितं-कोपवशात्फेनप्रकाशनपूर्वकं 'तए णं से' इत्यादि । 'तए णं' अनन्तर से सीहसेणे राया' वह सिंहसेन राजा 'इमीसे कहाए' इस समाचार से ‘लद्धटे समाणे' परिचित होता हुआ 'जेणेव कोवघरे जेणेव सामा देवी तेणेन उवागच्छइ' जहां कोपगृह था तथा उसमें जिस जगह श्यामा देवी थी वहां पर पहुँचा 'उवागच्छित्ता सामं देवि ओहय जाव पासइ' पहुँचते ही उसने श्यामा देवी को अनमनी एवं आतध्यान करती हुई देखा। 'पासित्ता एवं बयासी' देख कर वह श्यामा देवी से घोला कि 'किं णं तुमं देवाणुप्पिया ओहय जावज्झियासि' हे देवानुप्रिये ! तुम आज अनमनी क्यों हो और क्यों आतध्यान कर रही हो ? 'तए णं सा सामा देवी सीहलेणेणं रम्ना एवं वुत्ता समाणी उप्फेण 'तए णं से' त्याह. 'तए णं' ते पछी 'से सीहसेणे राया' ते सिंहसेन २ion 'इमीसे कहाए' मा समान्यारथी 'लढे समाणे परिचित थया पछी त 'जेणेव कोवघरे जेणेव सामा देवी तेणेव उवागच्छइ' ल्या पध२-५ तु तथा ते घरभरे हे श्यामा हेवी इतi cii माग गया. 'उवागच्छित्ता सामं देवि ओहय जाव पासइ' पहायतir तेरे श्यामादेवान शिंतातुर भने सात ध्यान ४२तां नयां 'पासित्ता एवं वयासी ने रात श्याभावाने वा साया, 'किं णं तुमं देवाणुप्पिया ओहय जावज्झियासि देवानुप्रिये ! तमे मारे हास ॥ भाटे छ। १ अने ॥ भाटे माध्यिान ४। छ। 'तए णं सा सामा देवी सीहसेणेणं रन्ना एवं वुत्ता
SR No.009356
Book TitleVipaksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages825
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size58 MB
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