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________________ प्रियदर्शिनी टीका अ. ३४ स्थितिद्वारनिरूपणम् ___ अप्रशस्तलेश्यानां स्थितिर्वर्णिता । अथ प्रशस्तलेश्यानां स्थितिं प्रदर्शयन् प्रथम तेजोलेश्या-स्थितिमाहमूलम्-दसवाससहस्साए, तेहुए ठिई जहन्निया होइ। दुन्नुदैही पलिओम असंखभागं च उक्कोसी ॥५३॥ छाया--दशवर्षसहस्राणि, तेजसः स्थिति घन्यिका भवति । __ द्वा वुदधी पल्योपम असंख्यभागं च उत्कृष्टा ॥५३॥ टीका--'दसवा ससहस्साए' इत्यादिदशवर्षसहस्राणि तेजसः तेजोलेश्यायाः, जघन्यिका जघन्या, स्थिति भवति। यहां कही गई है वहीं स्थिति उन २ निकायों में तेजोलेश्या की जघन्य उत्कृष्ट स्थिति जाननी चाहिये ॥५२॥ इस प्रकार यहां तक अप्रशस्त लेश्याओं की स्थिति कही गई है। अब प्रशस्तलेश्याओं स्थिति का वर्णन किया जाता है। उसमें सर्वप्रथम तेजोलेश्या की स्थिति दिखलाई जाती है-दसवाससहस्साए' इत्यादि। अन्वयार्थ-(दसवाससहस्साए-दशवर्षसहस्राणि ) दस हजार (१००००) वर्ष की (तेउए-तेजसः) तेजोलेश्या की (जहनिया ठिई होई-जघन्यिका स्थितिः भवति ) जघन्यस्थिति है। तथा (पलिओपम असंखभागं च दुन्नुदही उक्कोसा-पल्योपमासंख्येयभागं च द्वौ उद्धी उत्कृष्टा) पल्योपम के असंख्यातवें भाग से अधिक दो सागर प्रमाण उत्कृष्टास्थिति है । इस गाथा द्वारा निकाय के भेद की विवक्षा न करके ही लेश्या की स्थिति कही गई है। यहां दश हजार वर्षे तेजोलेश्या की બતાવવામાં આવેલ છે તેજ સ્થિતિ તે તે નિકામાં તેજલેશ્યાની જઘન્ય ઉત્કૃષ્ટ સ્થિતિ જાણવી જોઈએ. પરા આ પ્રમાણે અહીં સુધી અપ્રશસ્ત લેશ્યાઓની સ્થિતિ કહેવામાં આવેલ છે. હવે પ્રશસ્ત લેશ્યાઓની સ્થિતિનું વર્ણન કરવામાં આવે છે. એમાં સર્વ प्रथम वेश्यानी स्थिति माउवामां मावे छ-" दसवाससहस्साए त्या ! स-क्याथ-दसवासहस्साए-दशवर्षसहस्राणि इस डा२ (१००००) वर्षनी तेउए-तेजसः तनश्यानी जहन्निया ठिई होई-जघन्यिका स्थिति भवति धन्य स्थिति छ. तथा पलिओवमअसंखभागं च दुन्नुदही-पल्योपमासंख्येयभागं च द्वौ उदधी पक्ष्यापमना मन्यातमा साथी मधिर मे सागर प्रमाणु उत्कृष्ट સ્થિતિ છે. આ ગાથા દ્વારા નિકાયના ભેદની અપેક્ષાએ જ લેશ્યાની સ્થિતિ કહેવામાં આવેલ છે. અહીં દસ હજાર (૧૦૦૦૦) વર્ષની તેજેશ્યાની
SR No.009355
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1039
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size75 MB
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