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________________ ७६१ प्रियग्निी टीम 120 नेमिनाथचरितनिम्पणम् मागानिदरणाम यमदमा दशभ्रातरस्तेपा चोग समूहन, यद्वा-शाई चोणार मृहेन सब पतुर्तियु परिधारित. परिवष्टित ॥११॥ यथाकम-रिपरा रचितया निरशितया चतुरगिण्यानम्त्यश्वरथपकातिरूपया सेनया, गगनस्पृा -गगन म्पमतीति गगनस्पृर तेन नभोगणव्यापिना दिव्येन मनाहरण नू -मुन्द्रपण वादिना सनिनादेनगाह बानना एतादृश्या-उपरिनिटिर या नाविभू-या, उत्तम पग-3 कटतमया द्युत्या दीन्या च उपमभित स पुन अणकुर श्रेष्ठो भगवानरिष्टनेविाहार्थ निजकात स्वकीयाद गानाद् निर्यात =निर्गनो मण्डपामन्नप्रदेश समागत । इद वर्णन के ऊपर सेवोंने नत्र धरा तथा चमर होरने वाले उनपर चमर ढोरने लगे। (दसारच फेण य मो मन्वओ परिचारिओ-दशाह चक्रेण च स सर्वत. परियारित.) समुद्रजिय, अक्षाभ, स्तिामत, मागर, हिमवत, अचल, धरण, पूरण, अभिचद तथा बलुटेप इन दशो दशाों से परिवृन (बहि पुगवो-वृष्णि पुगवः) ये नेनिकुमार (जहबम रडया चउरगिणीग मेणा गवण फुले टिपण तुरियाण मानेनाण्ण ण्यरिहाए होग उत्तमाए यजुतीए-यया. , क्रम रचितया चतुरगिण्या सेन्या गगस्पृशा दिन्येर तृर्याणा सनिनादेन पताहगा मन्या उत्तमया च य या) यथाक्रम स्थापित चतुरगिणीहम्नि, अश्व, रथ एव पदातिरूप सेना से तथा गगन को स्पर्श करने वाले दिन्य पावित्रो के तवल नाद से इस प्रकार पूोक माद्धि से पच उत्तन दीप्ति से युक्त कर रिचार के लिये (नियागओ भवणाओ निजीओनिजमान् भवनात् निर्यातः) अपने भवन से निकले । और चलकर मरप के समीप आये ।। यभर दोपणातभना 6५२ सभा या सारचरण यमो सयो परि वारिओ-दशाहचकोण च समर्पत परिमारित समुदाय सोम, सितभित, मा १२, હિમવત, અચલ, ધરણ, પૂરણ, અભિચદ તથા વસુદેવ આ દસે દા હૈત્રી પરિવૃત गनेसा परिहपुगवो-गणिपुगव मे भिमा- जाधम रइयाए चउरगिणीए सेणाए गयण फुसे दिव्वेण तुरियाण सनिनापण एयन्छिए इडीए उत्तमाए य जुत्तीएयथाक्रम रचितया चतुरगिण्या सेनया गगनस्पृशा दिव्येन तुर्याणा सनिनादेन एतादृशा उत्तमया यत्या याम स्थापित यतुर गिणी-डाथी, श्व, २१ मन પાયદળરૂપ સેન થી તથા ગગનભેદી એવા દિવ્ય વાજીત્રોના તુમલ નાદથી આ પ્રકારની સંપૂર્ણ અદ્ધિ સાથે તેમજ ઉત્તમ દીપ્તિથી યુક્ત બે ને વિવાહ માટે नियग्गी भरणाओ निजाओ-निजकात भवनात् निर्यात येताना सपनयी નીકળ્યા અને ચાલીને મ ડપ સમીપ પહેચ્યા
SR No.009354
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages1130
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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