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________________ ५७२ उत्तगध्ययनमो यया मम शिक्षया दुर्लभधर्मम्य प्राप्तिः स्यादिति मात्र । पून कीटनी मेनु शिष्टिम् , तल्या सत्याम् ! यहाभ मिद्धान् सयवाथ भारती नमस्कृत्य, अर्थधर्मगति तायाम् अनुशिष्टिं करोमि, यूय मे मम समीपे शृणुन इन्यन्त्रम। इह चानुशिष्टिरभिया, अर्थ धर्मगति प्रयाजनम् । अनयोग परम्परमुपायर्यापय भार सम्बन्ध, साम दिक्तः मुमुक्षुरधिकारीत्यपिचित 'सिद्धाण सजयाण' इत्यत्र द्वितीयार्थे पष्ठी । यद्वाऽत्र सम्बन्धसामान्ये पटी रो या ॥१॥ • धर्मयानुयोगत्वादस्य धर्मस्याऽभिधानमिपेण सम्प्रति शिक्षामा:-- भूलम्प भूयरयणो राया, सेणिओ भगहाहियो। ' विहारजत निजाओ, मडिकुच्छिसि चेईए ॥२॥ छाया--प्रभूतरत्नो राजा, श्रेणिको मगशरिप.। रिहारयात्र निर्यात', मण्डिकुक्षी चैत्ये ॥२॥ टीका--'पभृयरयणो' इत्यादि। प्रभूतरत्ना-प्रभूतानि-मचुराणि रत्नानिकतनादीनि-प्रवरगजाश्चादिर पाणि वा यस्य स तयाभूतो मगाधिप श्रेणियो राजा सान्त 'पुर सपरि है वह यहा अर्थरूप से ग्रहण किया गया है। ऐसा वह अर्थ रत्नत्रयसम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान एव सम्यक्र चारित्र है। क्यों कि वही मोक्षा थियो द्वारा अभिलपिस होता है । यहा अनुशिष्टि, अभिधेय है और अर्थ धर्मगति प्रयोजन है। तथा इन दोनों का परस्पर'म जो उपाय उपे. यभाव है, वही यहा सबंध है। मोनाभिलापी अधिकारी है ||१॥ - यह धर्मकथानुयोग है इसलिये धर्म कथा को लेकर शिक्षा कहते है--'पभूयरयणो' इत्यादि । - - __ अन्वयार्थ (पभूयरयणो-प्रभूतरत्न.) कर्केतन आदि रत्नो के अथवा अपनी २ जाति मे उत्तम गज, अश्व आदि रूप रत्नों के अधिपति દ્વારા જે અભિલષિત થાય છે તેનું અહી અર્થ રૂપથી ગ્રહણ કરવામા આવેલ છે એ તે અર્થ રત્નત્રય-સમ્યગ્દર્શન, સમ્યજ્ઞાન અને સમ્યક ચારિત્ર છે કેમકે, તે મોક્ષાથીઓ દ્વારા અભિષિત વાય છે અહી અનુશિષ્ટિ, અભિધેય છે અને અધર્મગતિ પ્રજન છે તથા એ બન્નેને પરસપરમા જે ઉપાય ઉપયભાવ છે એજ અહીં સ બ ધ છે મોક્ષાભિલાષી અધિકારી છે ૧ , આ ધર્મકથાનું ગ છે આ કારણે ધમકથાને લઈને શિક્ષા કહેવામાં આવે छ - पभूयरयणो" त्या ! सन्यायपभूयरयणो-प्रभूतरत्न तन माहि रत्नाने अथवा पातपातानी जतिभा उत्तम साक्षी घास माहि३५ २त्नाना अधिपति मन मगहाहियो-मग
SR No.009354
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages1130
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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