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________________ - appenima m - - - - - marne- - MNovemmaAmainerangama ५.४ বাসনা निप्पोडनार्थ निर्मितेषु महायन्प्रेय इति पयर्मगिपर्मणा फल्न अन न्तश. अनन्त पार पीडिती-निष्पीडितोऽस्मि । 'पा' नारायः ॥५३|| - - - सूलम्-कूयंतो कोलमुंणयहि, सौमेहि सबैलेहि यं । पाडिओ फालिओ छिन्नो, विप्' तो अणेगंसो ॥५॥ छाया-कजन् पोलशुनकैः, श्यामः शन । पातितः स्फाटितगिनी, शिम्पुरन नेश ||५४|| टीका'यतो' इत्यादि। हे मातापितरौ । पूर्वभोपु कोलशुनकर वानस्पधरैः स्यामेशामा भिधानः, शक्लै शवलाभिधानथ परमारामिटव. जन भयवशादाकन्दन, में उनके समक्ष रोया भी चिल्लाया भी परन्तु मुझ पर कहा दया करनेवाला कोई नहीं था। पूर्वोपार्जित अशुभ कमों के निमित्त मेरी ऐसी दुर्दशा हुई थी ॥७॥ तथा-कृयतो' इत्यादि। अन्वयार्थ हे माततात। पूर्वभवों में (कोल सुणयेहि-कोलशुनकैः) शूकर तथा श्वान के रूपों को धारण करनेवाले (सामेहि-श्यामै.) श्याम तया (शरलेहि-शवले)शयल नामके परमाधार्मिक देवीने (क्यतो-कृजन) भयवश गेते हुए तथा (विस्फुरतो-विस्फुरन् ) इधर उधर भागते हुए मुझे (अणेगसो-अनेकशः) अनेकनार (भुवि पाडिओ-मुवि पातित) जमीन पर पटका (फालिओ-स्फाटित) जीर्णवस्त्र की तरह फाडा तया (छिन्नो-छिन्न.) वृक्ष की तरह काटा है।। પિલવામા આવેલ છુ હું તેમની સમક્ષ ર છુ, રાડ પાડી છે, પર તમારા ઉપર ત્યા દયા કરવાવાળું કઈ ન હતુ પૂર્વોપાત અશુભ કર્મોને નિમિત્તથી મારી એવી દશા ત્યા થઈ હતી તે પર છે तय-"क्यतो" त्यादि मन्वयार्थ-डे मातापिता! पूनमा कोलसुणयहि-कोल्शूनकै सुपर तथा नरान३५ धा२६४ ४२वावा सामेहि-श्यामः श्याम तथा शपलेहि-शबले समनामना परभाधामि वा यतो-कजन भयथी रोता मने विस्फूरतोविस्फुरन् मामतेम लागत मे१ भने अणेगसो-अनेकश• भने मुविपाडिओभूविपातित भीन ५२ पछाडी फालिओ-स्फाटित. पवनी भा६४ माथा छ तथा छिन्नो-छिन्न वृक्षनी भार पेल छ
SR No.009354
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages1130
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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